भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों के लिए मतदान मंगलवार सुबह 7 बजे से शुरू हो गया है। सभी सीटों पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। हालांकि, कुछेक सीटों पर बसपा और निर्दलीय प्रत्याशियों के चलते मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आई कांग्रेस की सरकार 15 महीने में ही गिरने के बाद इस साल मार्च में बीजेपी की सरकार बनी और शिवराज सिंह चौहान पांचवीं बार सीएम बने, लेकिन सत्ता में बने रहने के लिए बीजेपी को उपचुनावों में कम से कम 9 सीटें जीतना जरूरी है। इस लिहाज से देखें तो उपचुनाव शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता का लिटमस टेस्ट है।
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क्या है विधानसभा का गणित
मध्य प्रदेश की विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं और बहुमत के लिए 116 सदस्यों का समर्थन चाहिये। वर्तमान में शिवराज सिंह चौहान सरकार यानी बीजेपी के पास 107 विधायक हैं। यानी सत्ता में बने रहने के लिए उसे 9 सीटें जीतनी होंगी।
कांग्रेस के लिए मुश्किल है वापसी की राह
वहीं, कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस के विधायकों की संख्या महज 87 है। हाल ही में एक कांग्रेस विधायक के इस्तीफे के बाद कुल 29 सीटें खाली हैं और इनमें से 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस को सत्ता में वापसी के लिये 28 में से 25 सीटों पर जीत जरूरी है। ऐसा होने पर शिवराज सरकार पलट सकती है।
अधिकांश सीटों पर सीधा मुकाबला
उपचुनाव के लिए प्रचार के दौरान दोनों दलों ने ‘करो या मरो’ वाली स्थिति में पूरा दमखम लगाया। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो 28 में से 25 पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। यदि सभी 25 सीटों पर कांग्रेस को जीत नहीं मिलती है तो शिवराज सरकार को खतरा न के बराबर है। हालांकि तब बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के दम पर सत्ता को चुनौती दिये जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
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