भोपाल । मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के छठे दिन सोमवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान निजी स्कूलों में बच्चों की फीस का मामला उठा। इस पर प्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदरसिंह परमार ने स्पष्ट कहा कि चाहे सीबीएसई स्कूल हो या चाहे माध्यमिक शिक्षा मंडल से अधिमान्य स्कूल, सभी स्कूल कोरोना काल में बच्चों से सिर्फ ट्यूशन फीस ले सकेंगे। यदि कोई स्कूल निर्देशों का पालन नहीं करता, तो उसकी अधिमान्यता समाप्त की जाएगी।
मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के छठे दिन सोमवार को सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू हुई। इस दौरान भाजपा विधायक बहादुर सिंह चौहान ने उज्जैन जिले की महिदपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले दो विद्यालयों में नियमों को दरकिनार कर कार्य करने का आरोप लगाते हुए उनकी मान्यता निरस्त करने की मांग की। उन्होंने इस संबंध में अनेक सवाल उठाते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से मांग की कि इस मामले में गलत रिपोर्ट देने वाले अधिकारियों को आज ही निलंबित किया जाए। काफी देर तक चले सवाल जवाब के बीच मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस मामले में जांच और प्रक्रिया पूरी कर मान्यता रद्द करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इसके साथ ही स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने कहा कि कोरोना कॉल में मध्यप्रदेश में किसी भी स्कूल को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का अधिकार है। स्कूल विद्यार्थियों से अन्य कोई फीस नहीं वसूल सकते हैं। ये आदेश पहले से ही सभी जिलों में दिए गए हैं और आज फिर सभी जिलों के लिए जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि कोई स्कूल अन्य फीस वसूलता है तो इसकी शिकायत संबंधित कलेक्टर को की जाए और वे संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। ये आदेश सीबीएसई और एमपी बोर्ड से संबंधित स्कूलों पर मान्य हैं।
इसके बाद प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक सुरेंद्र हनी सिंह बघेल ने धार जिले के डही विकासखंड के अधीन आने वाले बड़दा गांव में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के भवन निर्माण का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसका भूमिपूजन किया था, लेकिन अभी तक निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। इस पर जनजातीय कार्य मंत्री मीना सिंह ने बताया कि संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच ने लिखकर दिया है और उनकी अनुशंसा के आधार पर गांव में उस स्थान पर नया स्कूल भवन बनाया जाएगा, जहां पहले से स्कूल संचालित है। जहां पर भूमिपूजन हुआ था, वह स्थान गांव से तीन किलोमीटर दूर स्थित है और स्कूल में पढऩे वाली छात्राओं की सुरक्षा के मद्देनजर पूर्व स्थान पर ही भवन बनाने का निर्णय हुआ है।
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