भोपाल। राज्य सरकार (state government) ने ऐतिहासिक निर्णय (Historic decision) लेते हुए प्रदेश के महानगर भोपाल और इंदौर (Bhopal and Indore) में पुलिस आयुक्त प्रणाली (Police commissioner system) को लागू कर दिया है। इस संबंध में गुरुवार देर शाम अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस संबंध में गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि कानून-व्यवस्था के प्रभावी क्रियान्वयन और दोनों शहरों की जनसंख्या 10 लाख से अधिक होने पर राज्य सरकार ने संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक नगरीय क्षेत्रों एवं सीमाओं को मेट्रो पोलिटियन क्षेत्र घोषित किया है।
गृह मंत्री डॉ. मिश्रा ने सरकार द्वारा लिये गये बहु-प्रतीक्षित ऐतिहासिक निर्णय के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार माना। पुलिस मुख्यालय भोपाल में पुलिस आयुक्त प्रणाली को लागू किये जाने संबंधी जानकारी की उद्घोषणा के समय पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी और अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा भी मौजूद थे।
गृह मंत्री डॉ. मिश्रा ने बताया कि पुलिस आयुक्त प्रणाली में इंदौर नगरीय पुलिस जिले में 36 थानों और भोपाल नगरीय पुलिस जिले में 38 थानों की सीमाओं को समाविष्ट किया गया है। दोनों शहरों में पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी पुलिस आयुक्त रहेंगे। उन्होंने बताया कि दोनों महानगरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली के लिये अधिकारियों के पद और जोन का भी निर्धारण किया गया है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि पुलिस आयुक्त प्रणाली के लागू हो जाने से इंदौर और भोपाल के पुलिस आयुक्त की शक्तियों एवं प्राधिकारों को मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक तथा महानिरीक्षक के सामान्य नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण के अधीन निहित किया गया है। पुलिस आयुक्त को कार्यपालक मजिस्ट्रेट की शक्तियाँ होंगी। मंत्री डॉ. मिश्रा ने बताया है कि भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता-1973 (1974 का 2) की धारा-21 द्वारा प्रदत्त शक्तियों में इंदौर और भोपाल नगरीय पुलिस जिले में पदस्थ पुलिस उपायुक्तों एवं पुलिस सहायक आयुक्तों को अपने-अपने अधिकारिता क्षेत्र में विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त कर शक्तियाँ प्रदान की गई हैं।
गृह मंत्री डॉ. मिश्रा ने बताया कि पुलिस एक्ट-1861 के अनुसार मेट्रोपोलिटिन क्षेत्र में पुलिस आयुक्त के अधीन पुलिस का प्रशासन रहेगा। पुलिस आयुक्त पुलिस महानिदेशक के सामान्य नियंत्रण एवं परिवेक्षण में रहेंगे। उन्होंने बताया कि बंदी अधिनियम-1900 अनुसार जेल में बंद कैदियों को पैरोल और आपातकाल में पैरोल बोर्ड की अनुशंसा पर सशर्त छोड़ा जा सकेगा। विष अधिनियम-1919 के तहत गैर कानूनी ज़हर या तेज़ाब रखने अथवा बेचने वालों की तलाशी से बरामद ज़हर या तेज़ाब जप्त किया जा सकेगा। अनैतिक व्यापार अधिनियम-1956 में निहित प्रावधान अनुसार वैश्यावृत्ति के विरुद्ध कार्यवाही की जा सकेगी और इस पेशे में धकेली गई महिलाओं को मुक्त कराया जाकर उन्हें संरक्षण-गृह में भेजा जा सकेगा।
मंत्री डॉ. मिश्रा ने बताया कि पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू हो जाने से विधि विरुद्ध क्रिया-कलाप निवारण अधिनियम-1967 अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा मेट्रोपोलिटिन क्षेत्र में प्रतिबंधित संगठनों को गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिये प्रतिबंधित किया जा सकेगा। मोटर यान अधिनियम-1988 (1988 का 59) का प्रयोग करते हुए वाहनों की पार्किंग अथवा उनके रुकने के स्थान स्थानीय अधिकारियों से समन्वय कर निर्धारित किये जा सकेंगे। वाहनों की गति सीमा निर्धारित की जा सकेगी। लोक सुरक्षा के हित में या उनकी सहूलियत के लिये या किसी सड़क या पुल की स्थिति को देखते हुए, वाहनों की अधिकतम गति निर्धारित करने के लिये उपयुक्त ट्रैफिक साइन लगाये जा सकेंगे।
मंत्री डॉ. मिश्रा ने बताया कि लोक सुरक्षा के हित में या उनकी सहूलियत के लिये या किसी सड़क या पुल की स्थिति को देखते हुए, श्रेणी विशेष के वाहनों के उपयोग को सामान्यत: अथवा निर्धारित क्षेत्र या निर्धारित सड़क पर प्रतिबंधित किये जा सकेंगे या सशर्त अनुमति दी जा सकेगी। मध्यप्रदेश सुरक्षा अधिनियम-1990 के अंतर्गत गुण्डे-बदमाशों और ऐसे अपराधी तत्वों के गैंग और आदतन अपराधियों को जिलाबदर किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि शासकीय गुप्त बात अधिनियम-1923 अंतर्गत सरकारी गोपनीय दस्तावेज रखने और इस अधिनियम के विरुद्ध की गई गतिविधियों पर कार्यवाही की जा सकेगी। (एजेंसी, हि.स.)
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