भोपाल । मध्य प्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh Legislative Assembly) का चार दिन चलनेवाला मानसून सत्र मंगलवार को दूसरे ही दिन अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। सत्र के दौरान जहां एक ओर महंगाई, आदिवासी मुद्दे और ओबीसी आरक्षण को लेकर विपक्ष ने जमकर सरकार को घेरा तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज (Chief Minister Shivraj) समेत सत्तापक्ष ने भी पलटवार करते हुए कांग्रेस (Congress) की कमलनाथ सरकार को लेकर कई सवाल खड़े किए। इस दौरान बगैर चर्चा के सदन में सात विधेयक (seven bills) एवं अनुपूरक बजट (supplementary budget) पारित कर दिए गए ।
मंगलवार को पेट्रोल डीजल की कीमतों और महंगाई को लेकर सदन में शुरू हुए हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कार्यवाही आधे घण्टे यानी 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी । जिसके बाद कार्यवाही शुरू होते ही अनुपूरक बजट और सभी विधयेक पेश किए गए, उधर कांग्रेस विधायकों का हंगामा जारी रहा। इसी दौरान सदन में अनुपूरक बजट एवं सभी आवश्यक लाए गए विधेयकों को मंजूरी दे दी गई । इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।
पेट्रोल और डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदेश भर में विरोध कर रही कांग्रेस मंगलवार को विधानसभा में भी आक्रामक दिखी। विपक्ष ने सरकार को सदन में जमकर घेरा। दूसरे दिन प्रश्नकाल के दौरान हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही आधे घण्टे के लिए स्थगित की गई। महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेसी अध्यक्षीय आसंदी के निकट आकर नारेबाजी करने पहुंचे। कांग्रेसियों की एक ही मांग थी कि सरकार हर हाल में तत्काल पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम करे, उस पर लगने वाले राज्य टैक्स को घटाए। कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने महंगाई पर स्थगन दिया है, जिस पर चर्चा होनी चाहिए।
सदन में जब विधायक मेवाराम जाटव के लगाए प्रश्न पर जब वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने सिलसिलेवार ढंग से यह बताना शुरू किया कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में पेट्रोल-डीजल में जो टैक्स बढ़ाया गया, अभी वही लग रहा है। पेट्रोल पर 33 प्रतिशत वेट, रुपये चार एवं पैसे पचास प्रतिलीटर अतिरिक्त कर एवं टर्नऑवर पर एक प्रतिशत सेस दर प्रचलित है। इसी प्रकार डीजल पर 23 प्रतिशत वेट, रुपये तीन प्रतिलीटर अतिरिक्त कर एवं टर्नऑवर पर एक प्रतिशत सेस दर प्रचलित है।
उन्होंने बताया कि इससे पहले भाजपा की सरकार के रहते तो वह कम ही किया गया था, भाजपा सरकार में यह क्रमश: 28 एवं 22 से 18 प्रतिशत तक किया गया था। यह सुनते ही विपक्ष महंगाई के मुद्दे को लेकर एक जुट हो गया और एक साथ सदन में कई कांग्रेसी अपनी बात कहने लगे। जिस पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने एक-एक को बोलने को कहा। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ बोले कि कांग्रेस ने कमलनाथ ने जो पेट्रोल-डीजल पर कीमते बढ़ाईं उसे भूल जाइए, अभी प्रदेश महंगाई से त्रस्त है। ऐसा सुनते ही भाजपा विधायक एक जुट होकर कमलनाथ को घेरते नजर आए। उनका कहना था कि जो आपने किया वह कैसे भूलाया जा सकता है। इस दौरान सदन में काफी हंगामे की स्थिति बन गई थी।
इसके साथ ही आज दूसरे दिन सदन में फिर आदिवासियों का मुद्दा उठाया गया। इसे लेकर सदन में कुछ देर गतिरोध भी बना रहा, फिर अध्यक्ष ने हस्तक्षेप करते हुए पूरे मामले को शांत कराया। सदन से बाहर आकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को लेकर हंगामा कर रही कांग्रेस को जमकर घेरा और पलटवार करते हुए तमाम प्रश्न कर डाले। शिवराज ने कहा कि कांग्रेस लगातार सदन में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है, समाज को तोड़ने के काम में लगी है। कल भी कांग्रेस ने आदिवासियों के मुद्दे पर लोगों के बीच भ्रम फैलाने का काम किया है। कांग्रेस पाखंड कर रही है, पिछड़ा वर्ग को कांग्रेस ने धोखा दिया है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कमलनाथ जी जवाब दें कि 27% आरक्षण बरकरार रखने के लिए कांग्रेस ने क्या किया? स्टे कराने का षड्यंत्र किया। कांग्रेस का पाखंड हम चलने नहीं देंगे,पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। आठ मार्च 2019 को 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने का तत्कालीन सरकार ने वचन दिया था। 10 मार्च को याचिका लगी और 19 मार्च को स्टे आ गया। 10 से 19 तारीख तक तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने अपना एडवोकेट जनरल तक कोर्ट में खड़ा नहीं किया। तत्कालीन सरकार ने अपने शासन के दौरान कोई प्रयास तक नहीं किया। कमलनाथ जी ने पिछड़े वर्ग की पीठ में छुरा घोंपा है। पिछड़ा वर्ग को कांग्रेस ने धोखा दिया। कमलनाथ जवाब दे कि सत्ताई प्रतिशत आरक्षण बरकरार रखने के लिए कांग्रेस ने क्या किया है ?
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