नई दिल्ली. यूपी (UP) के कानपुर (Kanpur) में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन (Sabarmati Express Train) हादसे के बाद मध्य प्रदेश (MP) के जबलपुर (Jabalpur ) में कछपुरा स्टेशन के पास ट्रेन (train) को पटरी से उतारने (derail) की साजिश रची गई. रविवार को नैनपुर-जबलपुर ट्रेन की इंजन से कछपुरा स्टेशन (जबलपुर और नागपुर डिवीजन की सीमा) के पास ट्रैक पर पड़े 15 फीट लंबी 3 लोहे की छड़ें से टक्करा गई. हल्की टक्कर से कोई हादसा नहीं हुआ. मगर, करीब 15 फीट लंबी 3 लोहे की छड़ों को जांच के लिए सुरक्षित रख लिया गया है.
बता दें कि कानपुर में शनिवार की रात पटना से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस को 2:30 बजे गोविंदपुरी और भीमसेन स्टेशन के बीच पलटाने की कोशिश की गई, जिसमें इंजन के आगे 3 फीट लंबा रेल पटरी का टुकड़ा रख दिया गया था. कानपुर में शनिवार की रात सबसे पहले इंजन के पहिए बेपटरी हो गए, क्योंकि टक्कर लगते ही जोरदार धमाका हुआ और ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाए.
इसके बाद पीछे के डिब्बे पटरी से उतरते गए. प्रयागराज मंडल के डीआरएम दीपक ने तेज धमाके की बात स्वीकार की थी. रेलवे की तरफ से इंजीनियर महेंद्र प्रताप सिंह ने पनकी थाने में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है. ट्रेन का वही रूट, पटरियां और रात का वही समय, जब 8 साल पहले इंदौर-पटना एक्सप्रेस को पलटा कर डेढ़ सौ लोगों की आतंकियों के स्लीपर मॉडल ने जान ले ली थी. आठ साल बाद शनिवार की रात कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस को भी पलटाने की साजिश की गई.
8 साल पहले 20 नवंबर 2016 को पुखरायां स्टेशन से पहले पटना से इंदौर जा रही इंदौर-पटना एक्सप्रेस रात 3:00 बजे पलट गई थी. उस समय भी ड्राइवर ने रिपोर्ट में कहा था कि ट्रेन पलटने से पहले जोरदार धमाका हुआ था. उस मामले में पुलिस और रेलवे की एजेंसी जांच कर रही थी, तभी बिहार के मोतिहारी जिले में पुलिस ने मोती पासवान नाम के एक आरोपी को गिरफ्तार किया था. उसने खुलासा किया था कि उसे दो युवकों ने 70000 देकर इंदौर-पटना एक्सप्रेस को पलटने को कहा था.
इसके लिए उन्होंने पुखरायां स्टेशन के पास कई दिन रेकी की थी.बिहार की मोतिहारी पुलिस ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की तो एक शख्स ने मोतिहारी पुलिस के सामने खुलासा किया था. उसने बताया था कि कानपुर देहात के पुखराया रेल हादसे का मास्टरमाइंड दुबई में बैठा एक शख्स है. यह घटना कोई हादसा नहीं, बल्कि एक साजिश थी.
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