भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में शुक्रवार को महाशिवरात्रि का पर्व (festival of mahashivratri) धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर प्रदेशभर के शिव मंदिरों में दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। उज्जैन के महाकाल मंदिर (Mahakal Temple of Ujjain) से लेकर ओंकारेश्वर, रायसेन के भोजपुर मंदिर और सीहोर में पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम तक में लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े।
उज्जैन में ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर (Jyotirlinga Lord Mahakaleshwar Temple) के पट रात ढाई बजे ही पट खुल गए थे। भस्म आरती के साथ ही मंदिर में सुबह से ही लाखों श्रद्धालुओं के आने का दौर चालू रहा, जो शनिवार दोपहर तक यानी 44 घंटे लगातार जारी रहेगा। प्रातः चलित भस्मारती में लगभग 40 हज़ार दर्शनार्थियों ने दर्शन किए। रात 10 बजे तक लगभग 7 लाख 35 हजार दर्शनार्थियों ने श्री महाकालेश्वर भगवान के दर्शन किए। अभी भी दर्शनार्थियों के दर्शन हेतु आने का सिलसिला जारी है।
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि शुक्रवार सुबह महाशिवरात्रि महापर्व पर भस्मारती के लिए भगवान महाकाल के मंगल पट रोज की तुलना में डेढ़ घंटे पहले रात 2:30 बजे खोले गए, जिसके बाद भस्मारती उपरांत सुबह 7:30 से 08:15 दद्योदक आरती, 10:30 से 11:15 तक भोग आरती के पश्चात दोपहर 12 बजे से उज्जैन तहसील की ओर से बाबा महाकाल की शासकीय पूजा-अभिषेक किया गया। वही सायं 4 बजे होल्कर व सिंधिया स्टेट की ओर से पूजन व सायं पंचामृत पूजन के बाद भगवान महाकाल को नित्य संध्या आरती के समान महाशिवरात्रि पर्व पर भी गर्म मीठे दूध का भोग लगाया गया। सायं 7 बजे से 10 बजे तक कोटितीर्थ कुंड के तट पर विराजित कोटेश्वर महादेव का पूजन, सप्तधान्य अर्पण, पुष्प मुकुट श्रृंगार (सेहरा) के उपरान्त आरती की गई। शुक्रवार रात्रि 11 बजे से पूरी रात और 9 मार्च को प्रात: 6 बजे तक भगवान श्री महाकालेश्वर का महाअभिषेक, पूजन, श्रृंगार चलेगा। इसमें एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ व विभिन्न मंत्रों के माध्यम से 11 ब्राह्मणों द्वारा देवादिदेव भगवान श्री महाकालेश्वर जी का अभिषेक किया जाएगा।
सुबह भस्म आरती नहीं, होंगे सेहरा दर्शन
शनिवार सुबह बाबा महाकाल के दरबार में भस्म आरती नहीं होगी, बल्कि इस दौरान बाबा महाकाल का सप्तधान सेहरा सजाया जाएगा। मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि प्रातः बाबा महाकाल का भस्म लेपन, विभिन्न प्रकार के पांच फलों के रसों से अभिषेक, पंचामृत पूजन (101 लीटर दूध, 31 किलो दही, 21 किलो खांडसारी , 21 शहद, 15 किलो घी) से अभिषेक, गंगाजल, गुलाब जल, भांग आदि के साथ केसर मिश्रित दूध से अभिषेक किया जाएगा। अभिषेक उपरांत भगवान को नवीन वस्त्र धारण कराए जाकर सप्तधान्य का मुखारविंद धारण कराया जाएगा। इसके बाद सप्तधान्य अर्पित किया जाएगा, जिसमें चावल, खडा मूंग, तिल, मसूर, गेहूं, जव, साल, खड़ा उडद सम्मिलित रहेंगे। श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों द्वारा भगवान श्री महाकालेश्वर का श्रृंगार कर पुष्प मुकुट (सेहरा) बांधा जाएगा।
भगवान महाकाल को चंद्र मुकुट, छत्र, त्रिपुंड व अन्य आभूषणों से श्रृंगारित किया जाएगा। भगवान पर न्योछावर नेग स्वरुप चांदी का सिक्का व बिल्वपत्र अर्पित किए जाएंगे। श्री महाकालेश्वर भगवान की सेहरा आरती की जाएगी व भगवान को विभिन्न मिष्ठान्न, फल, पञ्च मेवा आदि के भोग अर्पित किए जाएंगे। सेहरा दर्शन के उपरांत वर्ष में एक बार दिन में 12 बजे होने वाली भस्मारती होगी और इसके बाद भोग आरती होगी व शिवनवरात्रि का पारणा किया जाएगा। 9 मार्च को सायं पूजन, श्रृंगार, सायं आरती व शयन आरती के बाद भगवान श्री महाकालेश्वर जी के पट मंगल होंगे। इस दौरान श्री महाकालेश्वर भगवान के पट लगभग 44 घंटे खुले रहेंगे।
इसके अलावा प्रदेशभर में महाशिवरात्रि का पर्व उत्साहपूर्वक मनाया गया। सुबह से ही शिवालयों में भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया था, जो देर शाम तक जारी रहा। पशुपतिनाथ मंदिर में भक्तों ने कतारबद्ध होकर दर्शन किए। मंदसौर में विश्व विख्यात अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में चार बजे पट खुलते ही भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया था। सुबह भावन पशुपतिनाथ महादेव का पंचामृत से विद्वान पंडितों द्वारा अभिषेक किया गया। इसके बाद भगवान की प्रतिमा का आकर्षक नयनाभिराम शृंगार कर आरती की गई। तत्पश्चात सुबह 11 बजे भगवान पशुपतिनाथ का दूल्हे के स्वरूप में शृंगार किया गया। भगवान के सिर पर फूलों की पगड़ी सबका मन मोह रही थी। शृंगार के बाद भगवान को राजभोग अर्पित कर आरती की गई।
शिवरात्रि पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी, जिसके चलते भक्तों ने गर्भगृह के बाहर से ही अपने आराध्य का पूजन-दर्शन वंदन किया। शिवरात्रि पर्व पर भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन करने के लिए जिले व प्रदेश सहित राजस्थान, गुजरात सहित अन्य प्रदेशों से भी बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचे। सुबह से शुरू हुआ भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन वंदन का सिलसिला रात तक जारी रहा जिसमे 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य के दर्शन किए।
महेश्वर में महाशिवरात्रि का पर्व धार्मिक, श्रद्धा, आस्था, विश्वास के साथ मनाया गया। अलसुबह 5 बजे से नर्मदा तट पर स्नान के लिए भक्तों का आना प्रारंभ हो गया था। नर्मदा जी के डेढ़ किलोमीटर लंबे 28 घाटों पर करीब दो लाख से ज्यादा लोगों ने नर्मदा में आस्था की डुबकी लगाकर अपने आराध्य देव काशी विश्वनाथ, राजराजेश्वर मंदिर शिवालयों में आराधना की। ओंकारेश्वर में भी ज्योतिर्लिंग भगवान के दर्शन के लिए सुबह से देर रात श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही।
इधर, भोपाल में शहर में महाशिवरात्रि का पूर्व पर धूमधाम से मनाया गया। सुबह से ही मंदिरों में पूजा और अभिषेक शुरू हो गए। शिवालय बम-बम भोले के जयकारें गूंजे। इस अवसर पर अवसर पर मंदिरों की फूलों से साज सज्जा की गई। अलग-अलग जगह भगवान शिव की गाजे-बाजे के साथ बरात निकली। बड़वाले महादेव मंदिर में शुक्रवार को भव्य शिव बरात निकाली गई। आकर्षक रथ पर सवार होकर बाबा बटेश्वर नगर भ्रमण पर निकले। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी बड़वाले महादेव मंदिर पहुंचे और विधि विधान से पूजा अर्चना की। इसके बाद शिवराज ने भगवान का रथ खींच कर शिव बरात का शुभारंभ किया। इस दौरान भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी आलोक शर्मा, मंत्री विश्वास सारंग भी मौजूद थे।
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