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मप्र : भारी बारिश और बाढ़ से 1250 गांव प्रभावित, 11 हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित बचाया

August 05, 2021

भोपाल । मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में चार दिन से हो रही भारी बारिश (Heavy rain) से ग्वालियर-चम्बल (Gwalior-Chambal) अंचल में बाढ़ (Flooding) के हालात बने हुए हैं। शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, भिंड, मुरैना, ग्वालियर और गुना जिलों में बाढ़ से 1250 गांव प्रभावित हुए हैं, जहां गुरुवार को चौथे दिन भी राहत एवं बचाव कार्य (rescue operation) जारी है। इन गांवों से 11 हजार 100 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। बाढ़ग्रस्त जिलों में 60 राहत शिविर बनाएं गए हैं, जिनमें अभी करीब 12 हजार लोग हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) से फोन पर चर्चा कर प्रदेश में बाढ़ की ताजा स्थिति की जानकारी ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी बाढ़ के हालात पर मुख्यमंत्री से बातचीत की।

मुख्यमंत्री चौहान ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से आज सुबह फोन पर चर्चा की और मध्यप्रदेश में बाढ़ की वर्तमान स्थिति, रेस्क्यू ऑपेरशन एवं राहत कार्यों से अवगत कराया। साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर के नुकसान, फसलों की क्षति, बिजली एवं टेलीकॉम नेटवर्क आपूर्ति के संबंध में जानकारी दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया कि इस कठिन परिस्थिति में केंद्र सरकार मध्यप्रदेश के बाढ़ पीड़ितों के साथ है और प्रदेश को केंद्र द्वारा हर संभव मदद उपलब्ध कराई जाएगी। मैं उनके इस संवेदनशील पहल के लिए प्रदेश की जनता की ओर से धन्यवाद देता हूं।


उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बाढ़ से उत्पन्न परिस्थिति से निपटने तथा राहत एवं बचाव कार्य में एनडीआरएफ, भारतीय थल सेना, वायुसेना, बीएसएफ के जवान दिन-रात रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार से प्राप्त हो रहे निरंतर सहयोग के लिए आभार!

मुख्यमंत्री ने ट्वीट के माध्यम से बताया कि आज केंद्रीय गृह मंत्री शाह से भी फोन पर चर्चा की और प्रदेश में बाढ़ से उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों, राहत कार्यों, केंद्र के विभिन्न बचाव दलों से मिल रहे सहयोग एवं बुनियादी आवश्यकताओं के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। गृह मंत्री शाह ने मध्यप्रदेश को हरसंभव मदद का भरोसा देते हुए केंद्र की एक एडवांस टीम क्षति आकलन के लिए प्रदेश में भेजने की बात कही। निरंतर सहयोग के लिए गृह मंत्री के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि आज प्रातः प्रदेश के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र के जिला प्रशासन, चंबल ग्वालियर रेंज के आईजी और कमिश्नर से फोन पर चर्चा कर रेस्क्यू ऑपरेशन एवं बाढ़ की स्थिति की जानकारी ली। शिवपुरी के करेरा काली पहाड़ी और भिंड में तीन स्थानों पर एयर ऑपेरशन चल रहा है। आज सुबह शिवपुरी और भिंड जिले में हेलीकॉप्टर की मदद से एक सौ से अधिक लोगों को सुरक्षित निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया।

उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत-बचाव कार्य निरंतर जारी है। प्रदेश के बांध पूर्णत: सुरक्षित हैं। किसी भी तरह के भ्रामक समाचार एवं अफ़वाहों पर ध्यान न दें। जिला प्रशासन एवं बचाव दल सहित प्रदेश स्तर की टीम बाढ़ की स्थिति पर नजर बनाए हुए है। संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार साथ है। अतिवृष्टि और बाढ़ की स्थिति से प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल करके ही हम चैन की सांस लेंगे। बाढ़ से बंद हुए श्योपुर-मुरैना मार्ग पर आवागमन शुरू हो गया है। शिवपुरी और श्योपुर सड़क पर भी ट्रैफिक शुरू हो गया है। बाढ़ से बंद हुए श्योपुर-मुरैना मार्ग पर आवागमन शुरू हो गया है। शिवपुरी और श्योपुर सड़क पर भी ट्रैफिक शुरू हो गया है।

मुख्यमंत्री अपने निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ग्वालियर, चंबल संभाग के प्रभारी मंत्रियों तथा कलेक्टर्स के साथ बाढ़ राहत के संबंध में चर्चा कर रहे हैं। इस अवसर पर गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा उपस्थित हैं।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्रीचौहान बुधवार शाम को भाजपा सांसदों की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। दिल्ली से लौटने के बाद देर रात उन्होंने अपने निवास पर वरिष्ठ अधिकारियों की आपात बैठक बुलायी और बाढ़ की स्थिति को लेकर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में बाढ़ से भारी तबाही हुई है। पिछले 70 साल में पहली बार ऐसी स्थित बनी है। प्रशासन और सामाजिक संगठनों को मिलकर राहत कार्यों में जुटना चाहिए।

उन्होंने निर्देश दिए कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के अलावा राहत शिविरों में भी भोजन और स्वच्छ जल मुहैया कराया जाए। मकानों की मरम्मत, बिजली बहाल, सड़क मार्गों को दुरुस्त करने का कार्य भी शीघ्रता से प्रारंभ करना चाहिए। संचार सुविधाएं भी बहाल हों। बाढ़ राहत राशि प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाए। आवास, फसल और पशुओं की हानि के संबंध में भी सर्वेक्षण कराया जाए।

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