इंदौर के विस्तार को मिली नई दिशा
50 किलोमीटर बढ़ जाएगा दायरा, 8656 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल, 4 जिले 19 तहसीलों के साथ 32 नगरीय क्षेत्र रहेंगे शामिल
इंदौर, राजेश ज्वेल
पिछले हफ्ते ही अग्निबाण (Agniban) ने यह स्पष्ट कर दिया था कि मुख्यमंत्री (CM) की जो पहली समीक्षा बैठक होगी, उसमें इंदौर मेट्रोपॉलिटन (Indore Metropolitan) क्षेत्र को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा। कल प्रभारी मंत्री (Minister-in-charge) के रूप में इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के गठन का निर्णय भी लिया गया, जिसमें कोठी महल उज्जैन से लेकर इंदौर, देवास और पीथमपुर के 1150 गांव इसमें शामिल रहेंगे। 50 किलोमीटर का दायरा इंदौर का बढ़ जाएगा और 8656 वर्ग किलोमीटर का कुल क्षेत्रफल हो जाएगा, जिसमें इंदौर सहित 4 जिलों की 19 तहसीलों के साथ 32 नगरीय क्षेत्र भी शामिल रहेंगे। इंदौर महानगर को मेट्रो के चलते ही दर्जा दिया गया था, जहां की ग्रोथ रेट 33 प्रतिशत बताई गई है, जो कि देश के अन्य मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों के बराबर या उससे भी अधिक है, जिसमें इंदौर महानगर क्षेत्र प्रदेश का कुल 2.15 फीसदी है, लेकिन जीडीपी में इसका योगदान 9.18 फीसदी आंका गया है।
इंदौर का मास्टर प्लान भी प्रस्तावित है, जिसे 2045 के मान से तैयार किया जाना है। वहीं अब उसके साथ इंदौर मेट्रोपॉलिटन और रीजनल डेवलपमेंट एरिया के लिए भी कार्ययोजना तैयार की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में कल इंदौर के विकास से संबंधित जो महत्वपूर्ण बैठक ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हुई, जिसमें नगरीय विकास और आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट सहित सांसद, विधायक, शहर अध्यक्ष गौरव रणदिवे, जिलाध्यक्ष चिंटू वर्मा सहित अन्य मौजूद रहे, तो मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला और राघवेन्द्र सिंह भी भोपाल से आए। संभागायुक्त दीपक सिंह, पुलिस आयुक्त राकेश गुप्ता, मुख्य वनसंरक्षक एमआर बघेल, कलेक्टर आशीष सिंह, निगमायुक्त शिवम वर्मा, प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने इंदौर, उज्जैन, धार, देवास को मिलाकर इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र पर अमल करने का निर्णय लिया, ताकि इन चारों जिलों के हर गांव और हर क्षेत्र का समग्र तथा सुनियोजित विकास हो सके। वर्षों पुरानी मांग रही है मेट्रो पॉलिटन क्षेत्र की, जिस पर अब मुख्यमंत्री की रुचि के चलते शीघ्र अमल हो सकेगा। इसमें चार जिलों की 19 तहसीलों के साथ 1150 गांव शामिल रहेंगे, जिसमें उज्जैन जिलेे में कोठी महल के 7 गांव और उज्जैन नगर के 124 गांवों के अलावा इंदौर के बिचौलीहप्सी के 24, देपालपुर के 144, हातोद के 56, इंदौर तहसील के 12, कनाडिय़ा के 28, खुड़ैल के 45 और मल्हारगंज तहसील के 13 गांवों के साथ महू के 107, राऊ के 23, सांवेर के 118 और देवास के बागली के 18 और देवास तहसील के 140, देवास नगर के 11, हाटपीपल्या के 24, तो धार तहसील के 145 और पीथमपुर के 111, इस तरह कुल 1150 गांव और उनमें आने वाले 32 नगरीय क्षेत्र शामिल रहेंगे। इन सभी का कुल क्षेत्रफल वर्ग किलोमीटर में 8656.4 रहेगा, वहीं इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले क्षेत्र का वर्ग किलोमीटर में 6631.4 रहेगा, जिसमें तहसील क्षेत्र का 76.6 फीसदी हिस्सा होगा। महाकाल लोक बनने के बाद से इंदौर-उज्जैन पर अत्यधिक यात्रियों का दबाव बढ़ा है और डेढ़ लाख से अधिक औसतन पर्यटन रोजाना यात्रा कर रहे हैं। मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी और प्राधिकरण का गठन अब उसके मुताबिक किया जाएगा। हालांकि इस पर अमल किस तरह होगा उसका निर्णय राज्य शासन करेगा। इसमें निगम के अधिकारों में वृद्धि होगी और प्राधिकरण का भी उसमें विलय संभव है।
1 करोड़ की आबादी का हो सकेगाबेहतर प्रबंधन
वैसे तो जनगणना बीते 13 सालों से नहीं हुई है और 2011 की जनगणना के मुताबिक इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में जो एरिया शामिल किया गया है, उसकी आबादी 66 लाख आंकी गई थी और 1 करोड़ के मुताबिक प्लानिंग की जाना है। मगर वर्तमान में इस पूरे क्षेत्र की आबादी 80 लाख से अधिक होने का अनुमान है, क्योंकि कोविड के बाद इंदौर जिले की आबादी में भी तेजी से विस्तार हुआ है। चारों दिशाओं में कॉलोनियां, टाउनशिप और बहुमंजिला इमारतें निर्मित हो गई, जिनमें बड़ी संख्या में बाहर से आए लोग निवास कर रहे हैं। इस मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र का स्वरूप किस तरह होगा उसका खुलासा भी आने वाले दिनों में हो जाएगा।
सीएम अत्यंत उत्साहित… पहली ही मीटिंग में लिया फैसला
अभी इंदौर-मनमाड़ रेलवे लाइन की मंजूरी के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर में ही पत्रकार वार्ता ली थी, जिसमें अग्निबाण प्रतिनिधि ने उनसे इंदौर मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी के संबंध में सवाल पूछा था, जिसका मुख्यमंत्री ने पूरी गंभीरता से ना सिर्फ जवाब दिया, बल्कि कहा कि वे जल्द ही इस पर बैठक लेंगे और हफ्तेभर के भीतर ही कल मुख्यमंत्री ने जो अपनी पहली समीक्षा बैठक ली, उसमें मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की ना सिर्फ घोषणा की, बल्कि स्पष्ट कहा कि इस मामले में इंदौर-उज्जैन ही सबसे उपयुक्त माने गए हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री अपने गृह जिले उज्जैन को जहां विकसित करने में जुटे हैं, वहीं इंदौर पर भी उनका पूरा फोकस है। यही कारण है कि इंदौर जिले के प्रभारी मंत्री का दायित्व भी उन्होंने अपने पास रखा, क्योंकि औद्योगिक राजधानी होने के कारण इंदौर महत्वपूर्ण तो है ही, वहीं अब दिल्ली एनसीआर की तरह यह विकसित भी हो सकेगा।
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