भोपाल। सरकार गठन के आठ माह बाद सत्ता और संगठन को प्रदेश के विभिन्न निगमों-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियां करना है। दो से तीन माह के भीतर नगर निगम के चुनाव भी हो सकते हैं। ऐसे में भाजपा नेतृत्व को ग्वालियर-चंबल अंचल में नई तरह की चुनौती का सामना करना होगा। ये चुनौती होगी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए समर्थकों को स्थान देने की। यह किस अनुपात मे होगा, इसका निर्धारण 10 नवंबर को उपचुनाव के परिणामों के बाद ही होगा। हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है संगठन में फैसले सामूहिक रूप से लिए जाते हैं। योग्यता व वरिष्ठता के साथ आवश्यकता के आधार पर जिम्मेदारी सौंपी जाती हैं। जो लोग सिंधिया के साथ आए हैं वो भी पार्टी की रीति-नीति से वाकिफ हैं।
कहा जा रहा है कि उपचुनाव में तो फार्मूला पहले से तय था कि सिंधिया के साथ आए मंत्रियों व विधायकों को सरकार में शामिल किया जाएगा। साथ ही उसी विधानसभा क्षेत्र से टिकट भी दिया जाएगा। इसका पालन भी किया गया। इसके बाद भी ग्वालियर भाजपा में विरोध हुआ। ग्वालियर पूर्व से 2018 में भाजपा से चुनाव लड़े सतीश सिकरवार ने बागी होकर उसी क्षेत्र से कांग्रेस से चुनाव लड़ा। उपचुनाव में भाजपा के स्थानीय नेताओं व मूल कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए प्रदेश नेतृत्व को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा। इसके बाद भी चुनाव के दौरान बीच-बीच में नाराजगी के सुर फूटते रहे।
निगमों-मंडलों के लिए दावेदारी
उपचुनाव के नतीजों के बाद निगमों-मंडलों में नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व प्रदेश नेतृत्व पर दवाब बढ़ेगा। भाजपा नेताओं के साथ ही सिंधिया के साथ पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं की भी स्वाभाविक रूप से निगमों-मंडलों में दावेदारी बनती हैं। सवाल उठता है कि क्या भाजपा का मूल कार्यकर्ता इस बंटवारे को स्वीकार कर पाएगा, क्योंकि अब उपचुनाव जैसी मजबूरियां नहीं हैं।
पार्षद के टिकट में करना होगा बंटवारा
चार दशकों से ग्वालियर नगर निगम पर भाजपा का कब्जा है। पिछली परिषद में तो 65 में भाजपा के 46 पार्षद थे। कांग्रेस के सिर्फ 10 । सिंधिया के साथ कुछ पार्षद भाजपा से जुड़े हैं। निश्चित तौर पर वे भाजपा से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में उन वार्डों के भाजपा के संभावित उम्मीदवार और पिछले चुनाव में हारे भाजपा कार्यकर्ता विरोध करेंगे। वहीं कई ऐसे सिंधिया समर्थक हैं जो पांच साल पार्षदी की तैयारी कर रहे हैं और उन वार्डों में भाजपा का पार्षद है तो उनमें से किसे और कौन मनाएगा।
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