नई दिल्ली (New Delhi)। जन्म लेने के 24 घंटे के भीतर यदि शिशु को मां (mother and premature baby) के निकट संपर्क (Close contact intervention) में रखा जाए तो भविष्य में होने वाले जोखिम (reduce risk) को कम किया जा सकता है। भारत (India) में किए गए एक अध्ययन (study) में यह बात सामने आई है, जिसे बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल (BMJ Global Health Journal) में प्रकाशित किया गया है। अध्ययन के मुताबिक, शिशु को दिन में कम से कम आठ घंटे तक मां के साथ रखना होगा। ऐसा करने से मां और शिशु दोनों की मृत्युदर और संक्रमण में कमी लाई जा सकती है।
केंद्र सरकार के पुडुचेरी स्थित जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (जेआईपीएमईआर) और नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर कई बड़े बहु-देशीय और समुदाय-आधारित परीक्षणों की समीक्षा की है। शोधकर्ताओं ने कंगारू मदर केयर (केएमसी) की पारंपरिक देखभाल के साथ तुलना करते हुए प्रारंभिक दृष्टिकोण में यह देखा कि कैसे मां का निकट संपर्क एक शिशु के लिए वरदान बन सकता है।
शोध में 15,559 शिशु शामिल
परीक्षणों में 15,559 शिशु शामिल थे और इनमें से 27 अध्ययनों ने पारंपरिक देखभाल के साथ केएमसी की तुलना की, जबकि चार ने केएमसी की प्रारंभिक शुरुआत के साथ तुलना की। विश्लेषण से पता चला है कि पारंपरिक देखभाल की तुलना में केएमसी शिशु जन्म के 28 दिनों के बाद मृत्यु दर के जोखिम को 32% तक कम कर सकता है। साथ ही शिशु या मां में संक्रमण का जोखिम 15% तक कम कर सकता है।
डब्ल्यूएचओ भी दे चुका है जोर…
अध्ययन से पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) लंबे समय से कंगारू मदर केयर सुविधा पर जोर दे रहा है। 76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में भी डब्ल्यूएचओ ने कंगारू मदर केयर को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है। कंगारू मदर केयर का मतलब होता है कंगारू की तरह शिशु को मां के साथ रखना। इस विधि में शिशु को आमतौर पर मां के स्पर्श में रखा जाता है। यह मृत्यु दर को कम करने का एक तरीका है।
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