एक मासूम की दर्दभरी दास्तान…
इंदौर। 15 साल की नाबालिग (minor) मां (Mother) से मिलने इलाहाबाद (Allahabad) के लिए निकली, लेकिन शैतान (devils) मिल गए, जिनके हाथों में पडऩे के बाद जुल्मों का शिकार होती रही। आठ महीने जबरन वेश्यावृत्ति (Prostitution) झेलने के बाद एक महिला की मदद से इंदौर (Indore)पहुंची, लेकिन अब पुलिस (Police) की यातनाएं झेलने को मजबूर है।
15 साल की मासूम दूसरी शादी कर इलाहाबाद में रह रही मां से मिलने उसे ढूंढती हुई जब वहां पहुंची तो पता नहीं मिलने के कारण इलाहाबाद में भटकती रही। वहीं रेशमा नाम की एक महिला ने उसे अपने पास रहने की सुविधा तो दी, लेकिन उसे वेश्यावृत्ति में धकेल दिया। धोखे का शिकार नाबालिग बहुत गिड़गिड़ाई, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। उक्त महिला की बहन ने चोरी-छिपे बच्ची को इंदौर भेज दिया। यहां आकर जब रहने के लिए छत ढूंढी तो मकान मालिक ने पुलिस को वेरिफिकेशन (किराएदारों की जांच) के लिए सूचना भेजी तो दस्तावेज नहीं होने के कारण शक के दायरे मेें आने पर पूछताछ का शिकार हुई और महिला एवं बाल विकास विभाग की शरण में जा पहुंची। मामला उजागर होने के बावजूद पुलिस उसके साथ हुए अत्याचार को लेकर मामला दर्ज करने को तैयार नहीं है। लंबे समय से भटक रही नाबालिग की अब तक मेडिकल जांच नहीं कराई गई है न ही उसके बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
बाल विवाह से बची तो फंसी गलत चंगुल में
दादी द्वारा विवाह कराने से बचने के लिए बच्ची ने किसी को बताए बिना ही इलाहाबाद की ट्रेन पकड़ ली। दर-दर की ठोकरें खाते हुए जब उसे मां का पता नहीं मिला तो वह फुटपाथ पर ही जीवन-यापन करने लगी, लेकिन लंबे समय से नजर रख रही महिला ने उसे बहला-फुसलाकर आठ महीने तक बंधक बनाकर रखा। आठ महीने के दौरान कई लोगों ने उसका शारीरिक शोषण किया। शिकायत करने पर उसके साथ न केवल मारपीट की गई, बल्कि आठ महीने तक लगातार यौन शोषण झेलना पड़ा।
नियमों का हवाला दे रही पुलिस
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा उक्त बच्ची को लेकर मल्हारगंज थाने पर शिकायत करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन पुलिस के आला अधिकारी नियमों का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहे हैं। विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एसआई जहां टीआई से नियम जानकर मामला दर्ज करने की बात कह रहे हैं, वहीं मेडिकल परीक्षण कराने के लिए भी तैयार नहीं हैं।
मामला पहुंचा उज्जैन
इंदौर की बाल कल्याण समिति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उक्त बच्ची को उज्जैन की समिति के अध्यक्ष के समक्ष पेश किया गया, लेकिन समिति के अधिकारियों के अनुसार बालिका को मौका मुआयना कराने के नाम पर पुलिस इलाहाबाद ले जाने की बात कह रही है, जबकि नियम कहता है कि किसी भी नाबालिग की शिकायत तुरंत दर्ज की जाना चाहिए। ज्ञात हो कि इंदौर में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष नहीं होने के कारण बच्चों से जुड़े मामलों की सुनवाई उज्जैन की समिति द्वारा की जा रही है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved