नई दिल्ली. नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता (Skandamata ) की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि 6 अप्रैल 2022 को पड़ रही है. मां स्कंतमाता अपने भक्तों पर पुत्र जैसा स्नेह बरसाती हैं. शास्त्रों के मुताबिक देवी स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन की नकारात्मक शक्तियों (negative forces) का नाश होता है. आइए जानते हैं मां स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र और आरती.
मां स्कंदमाता पूजा विधि (Skandamata Puja Vidi)
स्कंदमाता की पूजा के लिए पीले रंग के वस्त्र धारण करके मां के सामने बैठें. इसके बाद माता से पीले रंग के फूल अर्पित करें. साथ ही पीली चीजों का भोग लगाएं. पूजन के समय “ओम् ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः” इस मंत्र का जाप करें. इस मंत्र के जाप में माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मां स्कंदमाता की कथा:
कार्तिकेय (Kartikeya) को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है। कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कन्द कुमार आदि नामों से भी जाता है। मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं। पर्वतराज की बेटी होने के कारण इन्हें पार्वती(Parvati) भी कहते हैं और भगवान शिव की पत्नी होने के कारण इनका एक नाम माहेश्वरी भी है। इनके गौर वर्ण के कारण इन्हें गौरी भी कहा जाता है। मां को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है जो अपने पुत्र से अत्याधिक प्रेम करती हैं। मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं इसलिए इन्हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है।
मां स्कंदमाता मंत्र (Skandamata Mantra)
ओम् स्कन्दमात्रै नम:
ओम् देवी स्कन्दमातायै नमः
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी
महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी
त्राहिमाम स्कन्दमाते शत्रुनाम भयवर्धिनि
मां स्कंदमाता की आरती (Skandamata ki Aarti)
जय तेरी हो स्कंदमाता
पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं
कई नामो से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कहीं पहाड़ों पर है डेरा
कई शहरों में तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाए
तेरे भगत प्यारे भगति
अपनी मुझे दिला दो शक्ति
मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई
चमन की आस पुजाने आई
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी इसकी पुष्टि नहीं करते है.)
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