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    शक्ति और सिद्वि का समावेश है मां सिद्धिदात्री, जाने पौराणिक कथा

  • April 21, 2021

    आज यानि 21 अप्रैल का है महानवमी का पावन व्रत है। नवमी तिथि रात्रि 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। नवरात्रि के 9वें दिन मां दुर्गा के नवमें रूप मां सिद्धिदात्री (Maa siddhidatri) की पूजा अर्चना के बाद नवमी तिथि (Ninth date) को नवरात्रि व्रत का पारण करने वाले लोग कन्या पूजन के बाद अपना व्रत खोल सकेंगे। धार्मिक पुराणों (Religious Puranas) में सुपात्र को दिए गए दान को महादान बताया गया है। नवरात्रि (Navratri) की नवमी (Navami) के दिन भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने से भक्तों को विशेष सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मान्यता तो यह भी है कि भोले शंकर महादेव (Shankar Mahadev) ने भी सिद्धि प्राप्त करने के लिए मां सिद्धिदात्री तपस्या की थी।

    मां सिद्धिदात्री का स्वरुप:
    मां सिद्धिभुजा दात्री का स्वरुप आभामंडल से युक्त है। मां सिद्धिदात्री लाल रंग की साड़ी पहने हुए कमल पर विराजमान हैं। मां की चार भुजाएं हैं। बाईं भुजा में मां ने गदा धारण किया है और दाहिने हाथ से मां कमल (Lotus) पकड़ा है और आशीर्वाद दे रही हैं। मां के हाथों में शंख और सुदर्शन चक्र भी है। मां पालथी मारकर कमल पर बैठी हैं। उनका एक चरण नीचे की तरफ है। देवीपुराण (Devipuran) में इस बात का उल्लेख है कि भगवान शिव ने सिद्धियां प्राप्त करने के लिए मां सिद्धिदात्री का तप किया तब जाकर कहीं उनका आधा शरीर स्त्री का हुआ। देवी के आशीर्वाद के कारण ही भगवान शिव (Lord Shiva) अर्द्धनारीश्वर के रूप में जाने गए।



    मां सिद्धिदात्री की कथा:
    मां सिद्धिदात्री को अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, परकायप्रवेशन, वाक्‌सिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व, सर्वन्यायकत्व, भावना और सिद्धि नाम से पुकारा जाता है। मां कमल पुष्प पर आसीन हैं। इनका वाहन सिंह है। मान्यता है कि मां की आराधना (Worship) करने से व्यक्ति की लौकिक, पारलौकिक हर तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मां अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। इसके अलावा व्यक्ति मां की सच्चे मन से अराधना करने पर अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है।

    मां सिद्धिदात्री के मंत्र:
    या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

    नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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