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    नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की होती है अराधना, जानें शुभ मुहूर्त, कथा, आरती व पूजा विधि

  • October 01, 2022

    नई दिल्‍ली। शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) का आज छठा दिन है। नवरात्रि ((Navratri) ) के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा की जाती है। इन्हें मां दुर्गा (Maa Durga) का ज्वलत स्वरूप माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, माता कात्यायनी को भगवान ब्रह्मा (Lord Brahma) की मानस पुत्री माना जाता है। माता कात्यायनी को ही उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड (Uttar Pradesh, Bihar, Jharkhand) में छठ मैया के नाम से जाना जाता है। भगवती कात्यायनी मां देवियों में सर्वाधिक सुंदर है। माना जाता है कि इस दिन मां कात्यायनी की पूजा (Worship) विधि-विधान से करने से हर काम में सफलता मिलती है। इसके साथ ही शत्रुओं के ऊपर विजय प्राप्त होती है। जानिए मां कात्यायनी का स्वरूप, पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती।



    मां कात्यायनी पूजन शुभ मुहूर्त-
    ब्रह्म मुहूर्त- 04:37 ए एम से 05:25 ए एम।
    अभिजित मुहूर्त- 11:47 ए एम से 12:34 पी एम।
    विजय मुहूर्त- 02:09 पी एम से 02:57 पी एम।
    गोधूलि मुहूर्त- 05:55 पी एम से 06:19 पी एम।
    अमृत काल- 06:48 पी एम से 08:20 पी एम।
    रवि योग- 06:14 ए एम से 03:11 ए एम, अक्टूबर 02

    मां कात्यायनी का स्वरूप
    शास्त्रों के अनुसार, देवी मां का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है। मां का वाहन सिंह है। मां के 4 भुजाएं हैं। एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल और दो हाथ अभय मुद्रा और अभयमुद्रा में है।

    मां कात्यायनी की पौराणिक कथा
    मां दुर्गा के इस स्वरूप की प्राचीन कथा इस प्रकार है कि एक प्रसिद्ध महर्षि जिनका नाम कात्यायन था, ने भगवती जगदम्बा को पुत्री के रूप में पाने के लिए उनकी कठिन तपस्या की. कई हजार वर्ष कठिन तपस्या के पश्चात् महर्षि कात्यायन के यहां देवी जगदम्बा ने पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी कहलायीं. ये बहुत ही गुणवंती थीं. इनका प्रमुख गुण खोज करना था. इसीलिए वैज्ञानिक युग में देवी कात्यायनी का सर्वाधिक महत्व है. मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं. इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है. योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. इस दिन जातक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होने के कारण मां कात्यायनी के सहज रूप से दर्शन प्राप्त होते हैं. साधक इस लोक में रहते हुए अलौकिक तेज से युक्त रहता है.

    मां कात्यायनी की पूजा विधि
    नवरात्रि के छठे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल (gangajal) से स्नान कराएं। नवरात्रि के छठे दिन सबसे पहले कलश की पूजा करें। पूजा विधि शुरू करने से पहले मां का ध्यान करते हुए एक फूल हाथ में लें। इसके बाद मां को अर्पित कर दें। फिर मां को कुमकुम, अक्षत, फूल आदि चढ़ाने के बाद सोलह श्रृंगार का समान चढ़ा दें। इसके बाद मां को उनका प्रिय भोग यानी शहद का भोग (honey indulgence) लगाएं। आप चाहे तो मिठाई आदि का भोग लगा सकते हैं। फिर जल अर्पित करें और दीपक-धूप जलाकर मां के मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही दुर्गा चालीसा(Durga Chalisa), दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में आरती करके मां से भूल चूक की माफी मांग लें।

    मां कात्यायनी की पूजा का महत्व-
    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना करने से विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं। मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है। मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है। मां कात्यायनी की कृपा से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है।

    मां कात्यायनी का मंत्र
    ॐ देवी कात्यायन्यै नम:॥

    मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र
    चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
    कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

    मां कात्यायनी स्तुति मंत्र
    या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

    मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र
    वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
    सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
    स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
    वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
    पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
    मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
    प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
    कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

    मां कात्यायनी कवच मंत्र
    कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
    ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
    कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥

    मां कात्यायनी की आरती-
    जय-जय अम्बे जय कात्यायनी
    जय जगमाता जग की महारानी
    बैजनाथ स्थान तुम्हारा
    वहा वरदाती नाम पुकारा
    कई नाम है कई धाम है
    यह स्थान भी तो सुखधाम है
    हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
    कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
    हर जगह उत्सव होते रहते
    हर मंदिर में भगत हैं कहते
    कत्यानी रक्षक काया की
    ग्रंथि काटे मोह माया की
    झूठे मोह से छुडाने वाली
    अपना नाम जपाने वाली
    बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए
    ध्यान कात्यायनी का धरिए
    हर संकट को दूर करेगी
    भंडारे भरपूर करेगी
    जो भी मां को ‘चमन’ पुकारे
    कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

    नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए है हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं . इन्‍हे अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले.

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