भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में राज्य शासन की ओर से जानकारी दी गई कि वर्तमान व पूर्व सांसदों व विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक प्रकरणों में से अधिकांश चेक बाउंस के हैं। इन मामलों की सुनवाई के लिए भोपाल में विशेष अदालत गठित की गई है। विचारण में तेजी लाने के लिए लोक व विशेष लोक अभियोजक भी नियुक्त किए गए हैं। हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से भी अपना जवाब पेश किया गया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितम्बर 2020 को सभी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से कहा था कि वे उनके यहां लंबित ऐसे आपराधिक मामलों को तत्काल सुनवाई के लिए उचित पीठ के समक्ष लगाएं। विशेषकर जिन मामलों में कोर्ट ने रोक आदेश जारी कर रखा है, उनमें पहले यह देखा जाए कि रोक जारी रहना जरूरी है कि नहीं। अगर रोक जारी रहना जरूरी है, तो उस मामले को रोजाना सुनवाई करके दो महीने में निपटाया जाए। इसमें कोई ढि़लाई न बरती जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुख्य न्यायाधीशगण यह भी विचार करें कि जिन मुकदमों की सुनवाई तेजी से चल रही है, उन्हें दूसरी अदालत में स्थानांतरित करने की जरूरत है कि नहीं या ऐसा करना उचित होगा कि नहीं। मुख्य न्यायाधीशों से कहा था कि वे एक पीठ गठित करें, जो सांसदों-विधायकों के लंबित मुकदमों के निपटारे की प्रगति की निगरानी करें। इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश स्वयं और उनके द्वारा नामित न्यायाधीश शामिल होंगे। इसी आदेश के तारतम्य में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर यह याचिका दर्ज की। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट प्रशासन व राज्य सरकार की ओर से पेश जवाबों को रिकॉर्ड पर लेकर कोर्ट ने अपना आदेश बाद में सुनाने की व्यवस्था दे दी। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव के साथ उपमहाधिवक्ता आशीष आनंद बर्नार्ड व हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से अधिवक्ता बीएन मिश्रा ने पक्ष रखा।
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