आमतौर पर कैंसर महिलाओं और पुरूष दोनों को होता है पर महिलाओं में कैंसर 6 से 7 प्रकार के देखे जाते हैं. जिनकी यदि सही समय पर पहचान कर इलाज ना किया गया तो यह अत्यंत दुखदाई बन जाता है और फिर उसे बचा पाना मुश्किल हो जाता है. आजकल स्तन कैंसर महिलाओं में तेजी से फैल रहा है.
महिलाओं में आजकल ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) काफी देखा जा रहा है. पहले 75 वर्ष की ऊपर की महिलाओं में 94 फीसदी कैंसर का खतरा बढ़ता था, लेकिन इन दिनों कम उम्र की महिलाएं भी कैंसर की चपेट में आ रही हैं. महिला का ब्रेस्ट उनके शरीर का सबसे ज्यादा संवेदनशील भाग है. इसलिए महिलाओं को इसे स्वस्थ रखने के लिए खास देखभाल भी करनी होती है. ज्यादातर महिलाओं को स्तन से जुड़ी समस्याओं की कम जानकारी होती है. हम आपको यहां पर इसके बारे में जानकारी देने की कोशिश करते हैं.
किसे कहते हैं कैंसर
शरीर के किसी हिस्से में कोशिकाओं (Cells) की असामान्य और अनियंत्रित वृद्धि को कैंसर कहा जाता है. लगातार बढ़ते रहने से इस टिश्यू के टुकड़े खून के रास्ते शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचते हैं और नई जगह पर विस्तार करने लगते हैं, इसे मेटास्टेसिस कहा जाता है. शरीर के किसी अंग में होने वाली कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि कैंसर का प्रमुख कारण होती है.
शरीर की आवश्यकता अनुसार यह कोशिकाएं बंट जाती है, लेकिन जब यह लगातार वृद्धि करती हैं तो कैंसर का रूप ले लेती हैं. इसी प्रकार स्तन कोशिकाओं में होने वाली अनियंत्रित वृद्धि, स्तन कैंसर का मुख्य कारण है. कोशिकाओं में होने वाली लगातार वृद्धि एकत्र होकर गांठ का रूप ले लेती है, जिसे कैंसर ट्यूमर कहते हैं.
ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार
इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा (Invasive ductal carcinoma) ब्रेस्ट कैंसर का प्रकार है. महिलाओं में 80 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा के कारण होता है. इस प्रकार का कैंसर डक्ट वाल से होते हुए ब्रेस्ट के चर्बी वाले हिस्से तक फैल जाता है. ब्रेस्ट कैंसर का यह प्रकार मिल्क डक्टस में विकसित होता है. इन्फ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर (Inflammatory breast cancer) बहुत कम होता है. इस प्रकार के ब्रेस्ट कैंसर का इलाज बहुत कठिन होता है. इससे महिलाओं में मौत का खतरा का सबसे ज्यादा रहता है. यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. इन्फ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर 1 फीसदी से भी कम होता है.
स्तन कैंसर होने पर पहले या दूसरे चरण में ही इसका पता चल जाने से सही समय पर इसका इलाज संभव है. लेकिन इस बारे में पता चलना भी आपकी अवेयरनेस पर निर्भर करता है. यदि आप स्तर कैंसर के प्रति जागरूक हैं, तो इसके लक्षणों को पहचानकर आप इसका इलाज सही समय पर करवा सकते हैं.
स्तन कैंसर होने के ये भी हैं सामान्य कारण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार बच्चे नहीं पैदा करना, अधिक उम्र में पहला बच्चा होना, स्तनपान नहीं कराना, वजन में अत्यधिक वृद्धि और अक्सर शराब का सेवन करना तथा खराब और अनियंत्रित जीवनशैली स्तन कैंसर के प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा अनुवांशिक रूप से भी स्तन कैंसर की बीमारी होना संभव है।
स्तन कैंसर के लक्षण
स्तन कैंसर में आमतौर पर स्तन या निप्पल का लाल हो जाना, स्तन से खून जैसे द्रव का बहना, स्तन में गांठ बनना, बांह या गर्दन के नीचे गांठ का बनना या सूजन आना इसके सामान्य लक्षण हैं. स्तन को दबाने पर दर्द होना, कोई तरल या चिपचिपा पदार्थ स्त्रावित होता, निपल के अग्रभाग का मुड़ना एवं रंग लाल होना, स्तनों में सूजन आ जाना, स्तन कैंसर के प्रमुख हैं, जिनके महसूस होने पर सतर्क होकर इससे बचने के उपाय करना बेहद आवश्यक है.
स्तन कैंसर को रोकने के उपाय
एक्सरसाईज और योगा को नियमित तौर पर करें
सूर्य के तेज किरणों के प्रभाव से बचें
नमक का अत्यधिक सेवन न करें
गर्भनिरोधक गोलियों का लगातार सेवन करने से पहले डॉक्टरी सलाह लें
रेड मीट के अधिक के सेवन से बचें
अधिक मात्रा में ध्रूमपान और नशीले पदार्थों का सेवन न करें
पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता है ये कैंसर
आपको बता दें कि स्तन कैंसर पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता है. यानी कि ये आनुवांशिक भी हो सकता है. अगर आपके परिवार में कैंसर का इतिहास है, तो इन टेस्ट को कम उम्र में ही करवाना शुरू कर देना चाहिए, इससे आपको कैंसर की ग्रोथ का समय से पता चल जाएगा. ऐसे में इससे बचने के लिए महिलाओं को नियमित तौर पर जांच करवाना जरूरी है. मैमोग्राम या अल्ट्रासाउंड द्वारा इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है.
स्तन कैंसर का इलाज
जैसा हर कैंसर में होता है, स्तन कैंसर में भी इलाज इसी आधार पर तय होता है कि बीमारी का पता किस स्टेज पर चला है. इलाज में कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी होती है. जैसा कि शुरू में कहा गया है कि अगर आप हाई रिस्क फैक्टर में हैं, तो लक्षणों की जांच करते रहें. बीमारी का जल्दी पता चलने से सर्वाधिक रिकवरी की उम्मीद रहती है.
महिलाओं को नियमित करानी चाहिए जांच
इसके अलावा महिलाओं को जागरूक रहने के साथ ही नियमित तौर पर स्तन कैंसर की जांच करवाना चाहिए. महिलाएं अपने ब्रेस्ट का परीक्षण, मैमोग्राफी से करवा सकती हैं. इसका उपयोग रोग की पहचान करने और उसका पता लगाने के उपकरण के रूप में किया जाता है. मैमोग्राफी का लक्ष्य स्तन कैंसर का शुरूआती दौर में ही पता लगाना है.
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं इन्हें किसी चिकत्सक के रूप में न समझें। हम इसकी सत्यता व सटीकता की जांच का दावा नही करते ,कोई भी सवाल या परेंशानी हो तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें ।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved