बस और कार के यात्रियों को परेशानी…रफ्तार में अचानक से उछलते वाहन
इंदौर कमलेश्वर सिंह सिसोदिया।
इंदौर (Indore) को गुजरात (Gujarat) से जोडऩे वाला फोरलेन (Fourlane) तकरीबन डेढ़ दशक से चर्चा में रहा है। पहले निर्माण में देरी, फिर अधूरे मार्ग पर ही टोल लेना शुरू हो गया। इसके बाद अब पेचवर्क के साथ सडक़ (Road) की सरफेस (Surface) खराब होने के कारण यहां कार और बस सवार यात्री परेशान हैं। अचानक से रफ्तार में वाहन उछलते हुए चलते हैं, जबकि यहां सर्वाधिक टोल (Toll) दर वाहनों (Vehicles) से ली जा रही है।
इंदौर से पिटोल ( Pitol) की दूरी तकरीबन 155 किलोमीटर है, वहीं इस मार्ग पर फोरलेन 139 किलोमीटर ही बना है। दत्तीगांव के पास खरमोर और झाबुआ के पास माचलिया के 16 किलोमीटर में कार्य अभी भी प्रगति पर है। दरअसल यह मार्च 2009 में निर्माण कार्य शुरू हुआ आधा अधूरा मार्ग पर ही 2017 में टोल लेना शुरू कर दिया गया था, वह भी प्रदेश में सबसे महंगा। अभी यहां कार चालकों से एक बार गुजरने के 270 रुपए टोल टैक्स के रूप में लिए जाते हैं। अगर फास्टेक है तो 135 रुपए कार चालक को चुकाना होते हैं। इसके साथ ही कमर्शियल वाहन (Commercial Vehicle) और बस के लिए टैक्स (Tax) काफी महंगे हैं। कुल मिलाकर प्रदेश का सबसे महंगा टोल इसी मार्ग पर लिया जा रहा है। बावजूद इस मार्ग की मरम्मत ठीक से नहीं हो पा रही। बारिश के गड्ढे अभी भरना जारी हैं, वहीं बार-बार गड्ढे भरने से इस मार्ग की सरफेस खराब हो गई है, जिससे यहां गुजरने वाले कार या बस में सवार यात्रियों को अचानक तेज रफ्तार में गाडिय़ों के उछलने से दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस मार्ग पर नेशनल हाईवे शुरू से ही सख्ती कर रहा है। टोल कंपनी को अल्टीमेटम भी दिया गया है कि वह जल्द मार्ग को सरपट बनाए।
मेठवाड़ा के ग्रामीण परेशान
मार्ग पर मेटवाड़ा (Metwara) और दत्तीगांव (Dattigaon) दो स्थानों पर टोल टैक्स लगाए गए हैं। घाटाबिल्लोद (Ghatabillod) के समीप मेठवाड़ा में फोरलेन (Fourlane) का टोल टैक्स बचाने के चक्कर में लोग गांव से घूम कर आते हैं। इसके कारण गांव की तकरीबन 4 किलोमीटर सडक़ खराब हो चुकी है। गांव के अंदरूनी डेढ़ किलोमीटर मार्ग में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिसके कारण ग्रामीण लंबे समय से परेशान हैं। उन्होंने कई बार बाहरी वाहनों के प्रवेश पर रोक भी लगाया, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। किसान नेता मलखान सिंह सांगवी ने बताया कि कई बार प्रशासन को इस परेशानी से अवगत करा चुके हैं, लेकिन कोई सकारात्मक निर्णय नहीं निकलता। बाहरी वाहनों का गांव से गुजरने के कारण कई बार दुर्घटनाएं भी हो जाती है।
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