लापता बच्चों में 75 प्रतिशत 13 से 17 साल की लड़कियां
इंदौर। शहर में यूं तो हर साल हजारों बच्चे लापता होने की शिकायतें थाने में दर्ज होती है, जिनमें से 90 प्रतिशत मिल भी जाते हैं, लेकिन स्टडी में खुलासा हुआ है कि सबसे अधिक बच्चे शहर के पांच थाना क्षेत्रों से लापता होते हैं। ये हॉट स्पॉट बने हुए हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार शहर में हर साल बच्चों के लापता होने की 10 हजार से अधिक गुमशुदगी दर्ज होती है। हालांकि इनमें से 90 प्रतिशत बच्चे मिल जाते हैं। 10 प्रतिशत बच्चों का पता नहीं चल पाता है। पुलिस हर साल लगभग 50 से 100 बच्चों का पता नहीं लगा पाती है। इस समस्या के हल के लिए पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद आईआईएम के साथ पुलिस ने एक एमओयू साइन किया था। वे पुलिस को स्टडी कर बच्चों के लापता होने के कारण और उसे रोकने के उपाए कैसे किए जाएं इस पर रिपोर्ट देने वाले थे। स्टडी के दौरान आईआईएम ने पांच साल के डाटा के आधार पर स्टडी की और 75 लापता हुए बच्चों से बात की थी। इस स्टडी में यह बात सामने आई कि शहर में पांच थाना क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें सबसे अधिक बच्चे लापता होते हैं। ये थाने चंदननगर, आजादनगर, द्वारकापुरी, लसूडिय़ा और भंवरकुआं हैं, जो कई सालों से हॉट स्पॉट बने हुए हैं। इसमें यह बात भी सामने आई कि लापता होने वाले बच्चों में 75 प्रतिशत लड़कियां हैं। इनकी उम्र 13 से 17 साल है। इनमें ज्यादातर बस्तियों की रहने वाली हैं। वहीं यह बात भी सामने आई है कि इनका अपहरण करने वाले पड़ोसी और परिचित हैं, जिनकी उम्र 18 से 23 है। अब पुलिस उनके सुझावों को अमल में लाने का प्रयास कर रही है, ताकि बच्चों के लापता होने की संख्या में कमी आ सके।
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