डेस्क: पंजाब के कुछ गांवों ने बंटवारे के बाद तोड़ गई मस्जिदों को फिर से खड़ा किया जा रहा है. मस्जिदों के निर्माण के लिए बड़े स्तर पर लोग सहयोग कर रहे हैं. गुरुद्वारों की तरफ से भी इसमें चंदा देकर सहयोग किया जा रहा है और कई लोगों ने तो मस्जिद बनाने के लिए अपनी जमीन भी दान कर दी है. फिलहाल यहां 165 मस्जिदों को बनाने का काम चल रहा है, जिनका बीते कुछ सालों में निर्माण शुरू किया गया था.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के बरनाला जिले के बखतगढ़ में रहने वाले किसान अमनदीप सिंह ने पिछले साल मस्जिद निर्माण के लिए अपनी 250 स्कवायर यार्ड्स जमीन दान में दी थी. मस्जिद के शिलान्यास पर अमनदीप ने पूरे गांव को बुलाया, जिसमें 15 मुस्लिम परिवार भी शामिल थे. इस मौके पर लंगर का भी आयोजन किया गया. अमनदीप का कहना है कि ईद तक मस्जिद निर्माण पूरा होने की उम्मीद है और अगर ऐसा हुआ तो अगली ईद की नमाज मुस्लिम यहीं पर अदा करेंगे.
पंजाब के ही एक और जिटवल कलां गांव में रहने वाले युवा कांग्रेस नेता जगमल सिंह ने अगस्त, 2021 में मस्जिद बनाने के लिए अपनी 1,200 स्कवायर यार्ड जमीन दान में दी थी. इतना ही नहीं उनके परिवार ने 51,000 रुपये भी दान में दिए थे और लुधियाना की जामा मस्जिद के नाईब शाही इमाम मोहम्मद उस्मान लुधायनवी ने मस्जिद की नींव रखी थी. इसके बाद और लोग भी उनकी मदद के लिए आ गए और सबने मिलकर मस्जिद के निर्माण के लिए 5 लाख रुपये जुटाए.. इसी तरह यहां के अन्य गावों में भी मस्जिदों का निर्माण किया जा रहा है और जिन मस्जिदों को तोड़ा गया उनको फिर से खड़ा किया जा रहा है.
बरनाला के कुतबा बहमानिया गांव के सरपंच बूता सिंह भी यहां किए जा रहे मस्जिद निर्माण के गवाह हैं. उन्होंने बताया कि बंटवारे के बाद सभी मुस्लिम परिवार यहां से चले गए और बस दो परिवार ही यहां रह गए. वहीं, जमात-इ-इस्लामी हिंद के मोहम्मद हनीफ ने भी बताया कि धुरी के शेरपुर सोधियां गांव में 120 साल पुरानी मस्जिद का पुनर्निर्माण किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिस दिन मस्जिद की नींव रखी गई उस दिन मीठे चावल बांटे गए थे. पंजाब में आजादी से पहले 40 फीसदी मुस्लिम आबादी थी और सिर्फ 1.93 फीसदी मुसलमान बचे हैं.
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