मास्को (Moscow)। रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia and Ukraine War) के डेढ़ साल से भी ज्यादा समय तक जारी रहने का असर धीरे-धीरे दोनों दोनों देशों पर दिखने लगा है। खासकर रूस पर, जिसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और युद्धक्षेत्र (International sanctions and battlefields) में खास सफलता नहीं मिलने से मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। वहीं, पश्चिमी देशों के समर्थन की वजह से यूक्रेन के हालात बिगड़ने से बचे हैं। इस बीच यूक्रेन ने रूस के खिलाफ जवाबी हमले भी बढ़ाए हैं। खासकर बीते कुछ दिनों में क्रीमिया से सटी सीमा के करीब यूक्रेन हमलावर रहा है। वहीं, रूस की राजधानी मॉस्को में हालिया दिनों में हुए ड्रोन हमलों के पीछे भी यूक्रेन का हाथ होने के आरोप लगे हैं। इन हालात के बीच जहां यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की लगातार रूस को धमकी दे रहे हैं, वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बयान चिंता बढ़ाने वाले हैं।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने सेंट पीटर्सबर्ग में हो रहे रूस-अफ्रीका फोरम के दौरान अफ्रीकी देश के नेताओं से कहा कि वे यूक्रेन को लेकर शांति वार्ता के प्रस्ताव को खारिज नहीं करते। युद्ध शुरू होने के बाद से यह लगभग पहली बार है, जब रूसी राष्ट्रपति ने यूक्रेन से शांति वार्ता को लेकर सार्वजनिक मंच से ऐसा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चीन की तरफ की गई पेशकश या अफ्रीका की तरफ से की जा रही कोशिश शांति वार्ता का आधार बन सकती हैं।
पुतिन ने साफ किया कि यह युद्ध तब तक नहीं रुक सकता जब तक यूक्रेन की सेना उन पर हमले करना जारी रखेगी। पुतिन ने कहा, “अगर वे हम पर हमला करेंगे तो हमें जवाबी कार्रवाई करनी पड़ेगी। कुछ लोग चाहते हैं कि शांति वार्ता की बात हो। हमने इससे इनकार नहीं किया है। आपको पता ही है कि मैंने पहले भी कहा है कि हम शांति वार्ता से इनकार नहीं करते।
पुतिन ने कहा, “यूक्रेनी सेना आक्रामक है, वो हम पर हमले कर रही है। वे बड़े स्तर पर आक्रामक रणनीतिक अभियान चला रहे हैं। हम शांति वार्ता के प्रस्ताव को बिल्कुल नहीं नकार रहे, लेकिन कोई भी प्रक्रिया शुरू होने के लिए दोनों पक्षों के बीच एक आम सहमति बनना सबसे अहम है।”
पुतिन का बयान अहम क्यों?
गौरतलब है कि युद्ध के शुरू होने के बाद से ही रूसी सेना ने यूक्रेन के कई ठिकानों पर हमले किए और उन्हें कब्जे की कोशिश की। हालांकि, युद्ध की अवधि बढ़ने के साथ ही उसकी यह कोशिशें नाकाम होने लगी हैं। यूक्रेन ने अपने बड़े इलाके को रूस के कब्जे से आजाद भी कराया है। वहीं बीते दिनों में यूक्रेन की ओर से रूसी सीमा के अंदर हमले बढ़े हैं, जिसकी पुष्टि खुद यूक्रेनी अधिकारियों ने की है।
दूसरी तरफ इस साल जून तक पुतिन ने यूक्रेन के साथ किसी भी तरह की शांति वार्ता की बात को नकार दिया था। पुतिन ने दावा किया था कि युद्ध में यूक्रेन को सफलता मिलने का कोई मौका ही नहीं है। पुतिन ने तब भी अफ्रीकी देशों की ओर से पेश शांति प्रस्ताव की समीक्षा की बात कही थी। हालांकि, उन्होंने साफ किया था कि यह प्रस्ताव सफल नहीं हो पाएगा, क्योंकि रूस की तरफ से यूक्रेन की अहम मांगों के नहीं माना जा सकता।
तो क्या सच में मुश्किल में है रूसी सेना?
हालांकि, अब पुतिन का बातचीत की मेज पर आने से जुड़ा बयान, अपने आप में रूसी नागरिकों के लिए चौंकाने वाला कदम है। खासकर तब जब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की लगातार रूस पर पलटवार करने और उससे अपने कब्जे वाले क्षेत्र वापस लेने की बात कह रहे हैं। माना जा रहा है कि यूक्रेन की स्पेशल फोर्सेज की तरफ से बाखमुत में रूसी सेना के खिलाफ बढ़ाए गए हमलों और उसके लगातार पूर्व की तरफ आगे बढ़ने का असर दिखने लगा है।
इसके अलावा रूस को यूक्रेन में जबरदस्त कामयाबी दिलाने वाले वैगनर ग्रुप का अचानक बिखरना भी पुतिन के लिए नुकसान पहुंचाने वाला साबित हुआ है। खासकर पुतिन के वफादार येवजेनी प्रिगोझिन का अचानक रूसी सेना के खिलाफ बगावत करना और बाद में उन्हें बेलारूस भेजे जाने का असर देश की युद्ध रणनीति पर पड़ा है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में जेलेंस्की के हवाले से कहा गया, रूसी आक्रामकता युद्ध के मैदान में दिवालिया हो गई है। युद्ध अब 500 से ज्यादा दिन चल गया है, जबकि रूसी नेतृत्व को इसके एक या दो सप्ताह तक चलने की उम्मीद थी। यूक्रेन मजबूत हो रहा है। धीरे-धीरे युद्ध रूसी क्षेत्र में लौट रहा है। यह एक अपरिहार्य, प्राकृतिक और बिल्कुल निष्पक्ष प्रक्रिया है।
उन्होंने चेतावनी दी कि रूस अभी भी सर्दियों के दौरान यूक्रेन के ऊर्जा क्षेत्र और महत्वपूर्ण सुविधाओं पर हमला कर सकता है। जेलेंस्की ने कहा, हमें पता होना चाहिए कि पिछले साल की तरह रूसी आतंकवादी अभी भी इस सर्दियों में हमारे ऊर्जा क्षेत्र और महत्वपूर्ण सुविधाओं पर हमला कर सकते हैं। आज हमने समुदायों के साथ सभी संभावित परिदृश्यों के लिए तैयारी की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की।
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