ग्वालियर: कहते है महजब, मुल्क और जुबान प्यार में कभी बाधा नहीं बनते, ये कहावत को एक बार फिर सही साबित हुई है. अरब देश मोरक्को की मुस्लिम लड़की को अपने मुल्क से 8 हजार किलोमीटर ग्वालियर के हिन्दू लड़के से प्यार हुआ. युवती ने प्यार की खातिर अपना मुल्क छोड़ दिया. लड़के ने युवती को नहीं बल्कि उसके पिता को भरोसा दिलवाया कि वह अपनी पत्नी का कभी धर्म परिवर्तन नहीं कराएगा. दोनों अपने-अपने धर्म और संस्कृति का पालन करते हुए पति-पत्नी रहेंगे. इसके बाद मोरक्को की मुस्लिम युवती ने और ग्वालियर के हिंदू युवक ने शादी रचाई ली. दोनों ने एडीएम कोर्ट में शादी रचा ली है.
अफ्रीकी देश मोरक्को की रहने वाली 24 साल फादवा लैमाली प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाई करती है. सोशल मीडिया पर फादवा की पहचान ग्वालियर निवासी 26 साल के अविनाश दोहरे से हुई थी. सोशल मीडिया में हुई दोनों की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई, लेकिन मजहब अलग होने से दोनों ने अपने परिवार को बताया. फादवा लैमाली के परिवार वाले पहले नाराज हुए, लेकिन बेटी की जिद के आगे उन्होंने हां कह दी. दोनों की प्रेम कहानी में मजहब भी दीवार नहीं बन पाई. अविनाश दो बार शादी का प्रस्ताव लेकर मोरक्को गया, लेकिन फादवा के पिता अली लैमाली ने शादी के लिए साफ इनकार किया.
अविनाश और फादवा इस शादी के लिए अड़ गए तो पिता ने अविनाश से भारत और हिन्दू धर्म छोड़कर मोरक्को में बसने का ऑफर दिया. अविनाश ने फादवा के पिता से कहा कि ना तो मैं अपना देश छोडूंगा और ना ही अपना धर्म परिवर्तन करूंगा, लेकिन मैं आपकी बेटी का भी धर्म परिवर्तन नहीं कराऊंगा. उसे अपना धर्म और अपनी परंपराए उसी तरह निभाने की आजादी भारत में होगी. जैसे वह मोरक्को में निभाती आई है. अविनाश की बात सुनकर परिवार को यकीन हो गया कि बेटी फादवा के अविनाश अच्छा जीवन साथी साबित होगा. फिर परिवार रजामंद हो गया.
सालभर पहले फादवा मोरक्को से भारत आ थी. भारत आने के बाद उनसे अपनी शादी के लिए दोनों देशों की कानूनी प्रक्रिया पूरी की. सबसे पहले फादवा ने मोरक्को में अपनी शादी के लिए NOC के लिए आवेदन किया था. कानूनी दस्तावेज़ों की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 3 महीने बाद मोरक्को से अनुमति मिल गई. इसके बाद ग्वालियर की SDM कोर्ट में कानूनी रूप से शादी कर ली. फादवा कहती है कि उसे भारतीय संस्कृति से लगाव है. भारत मे आने के बाद उसे यहां भी अपना पन लगा है. पति अविनाश उसके परिवार और धर्म का सम्मान करता है. यहां उसमे छोले भटूरे भा गए। अविनाश के घर उसने छोले भटूरे सहित कई चीजें बनाना सीख ली है.
अविनाश और फादवा की शादी में दोनों का अलग अलग धर्म सबसे बड़ी परेशानी थी. दोनों को एक दूसरे से प्यार था लेकिन दोनों एक दूसरे के धर्मों का भी उतना ही सम्मान करते थे. लिहाज़ा दोनों ने फैसला किया कि दोनों अपना धर्म बदले बिना ही शादी करेंगे. इसका सबसे सही कानूनी रास्ता ‘कॉमन मरीज़ एक्ट’ था. दोनों को शादी के बंधन में बांधने में ग्वालियर के अधिवक्ता सचिन गुप्ता ने खास रोल निभाया. सचिन ने दिल्ली में मोरक्को एंबेसी से लेकर ग्वालियर कलेक्ट्रेट तक NOC और शादी के दस्तावेज तैयार कराए.
अधिवक्ता सचिन का कहना है कि अविनाश और फादवा की शादी दुनियाभर को नया संदेश दे रही है कि प्रेम में एक दूसरे का धर्म बदलने की बजाए. एक दूसरे के धर्म का सम्मान करते हुए भी दो धर्मों के लड़के लड़की शादी कर सकते हैं और जिन्दगीभर अपने अपने धर्म का पालन के लिए कानूनी के साथ ही नैतिक आज़ादी भी रहती है.
आपको बतादे कि मोरक्को उत्तर अफ़्रीका का एक राजशाही देश है. मोरक्को धार्मिक इस्लामी देश है, जिसमें 99 फीसदी आबादी मुस्लिम है. यहां की जिसकी भाषा अरबी है. रबात शहर मोरक्को की राजधानी है. मजहब और मुल्क की सीमाएं भी अविनाश और फादवा की मोहब्बत के लिए बाधा नही बन पाई.
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