इन्दौर। पिछले तीन सालों में प्रदेश में तेंदुओं से ज्यादा बाघों की मौत हुई है। 2020 से 2022 तक 42 तेंदुए तथा 70 बाघ मौत का शिकार हुए। बाघों की मौत आपसी लड़ाई में ज्यादा हुई है, जबकि तेंदुओं की मौत के मामलों में दुर्घटना ज्यादा हुई है। इस मामले में विधानसभा में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने सवाल किया था, जिसके जवाब में वनमंत्री विजय शाह ने आंकड़ों सहित जानकारी दी। प्रदेश में बाघों की मौत के मामले ज्यादा बढ़े हैं। 2020 में 19, 2021 में 26 और 2022 में 25 बाघ मौत का शिकार हुए हैं। हालांकि बाघों की मौत का अधिकांश कारण उनकी आपसी लड़ाई रहा है। बाघ अपनी टेरीटोरी में किसी दूसरे बाघ की एंट्री बर्दाश्त नहीं कर पाते और कई बार आमने-सामने आने में उनके बीच संघर्ष हो जाता है, इसलिए उनमें से किसी एक की मौत हो जाती है। इनमें पांच की मौत शिकार के कारण हुई है तो 2 मामलों में मौत का कारण अज्ञात रहा है। 2020 में 8, 2021 में 14 और 2022 में 20 तेंदुओं की मौत हुई है। तीन सालों में कुल 42 तेंदुओं की मौत हुई है। इसके साथ ही पटवारी ने 2014 से 2018 के बीच का आंकड़ा भी पूछा था, जिसके जवाब में वनमंत्री ने बताया कि इस दौरान 209 तेंदुए और 120 बाघों की मौत हुई।
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