85 वार्डों में बढ़ गए 50 हजार से अधिक मतदाता, आयोग ने पंचायत के साथ नगरीय निकाय चुनाव की भी तैयारी शुरू की, आज कलेक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस
इंदौर। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आदेश के बाद पंचायतों (Panchayats) के साथ-साथ नगरीय निकाय चुनावों (Urban Body Elections) की तैयारी राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने शुरू कर दी। जून अंत तक दोनों चुनाव (Election) करवा दिए जाएंगे। दूसरी तरफ प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रही है, जिसके चलते कल मुख्यमंत्री अपना विदेश दौरा रद्द कर दिल्ली पहुंचे और आला वकीलों से चर्चा भी की। वहीं त्रुटिपूर्ण वार्ड विभाजन के चलते इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) के जो 85 वार्ड हैं, उनमें मतदाताओं की संख्या में भारी अंतर है। सालभर में जहां लगभग 50 हजार मतदाता कम हो गए, तो मूसाखेड़ी वार्ड में जहां 14 हजार मतदाता हैं, तो सुखनिवास वार्ड में 35 हजार से अधिक मतदाताओं की संख्या है। जबकि हजार-दो हजार मतदाताओं का ही अंतर वार्डों के बीच होना चाहिए। लेकिन इंदौर के कई वार्डों में यह अंतर दो गुना से भी ज्यादा है। वहीं वार्ड आरक्षण के संबंध में भी फैसला हाईकोर्ट से आना अभी बाकी है।
इस बार पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव एक मजाक बनकर रह गए। पहले कोरोना (Corona) के कारण, उसके बाद कोर्ट-कचहरी और कानूनी झंझटों में ये चुनाव अटक गए। पूर्व में भी पंचायत चुनाव ऐन वक्त पर निरस्त हुए और अब बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करवाने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दे दिए। इसके बाद कांग्रेस-भाजपा में उथल-पुथल मच गई और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को तो 14 मई से शुरू होने वाला अपना अमेरिका-इंग्लैंड का दौरा रद्द करना पड़ा और मंत्रियों के साथ वे कल दिल्ली पहुंचे और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित अन्य आला वकीलों से मिले, ताकि पुनर्विचार याचिका लगाई जा सके। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट शायद ही इस पर विचार करेगा, जिसके चलते राज्य निर्वाचन आयोग ने कल बैठक बुलाकर नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी की घोषणा कर दी और आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने 30 जून तक दोनों चुनाव करवा लिए जाने की जानकारी मीडिया को भी दी। पंचायतों के साथ-साथ चूंकि नगरीय निकायों के चुनाव भी होना है और इंदौर नगर निगम के चुनाव भी पिछले दो साल से अधिक समय से नहीं हुए और प्रशासक काल ही चल रहा है। वार्डों के आरक्षण को भी हाईकोर्ट (High Court) ने निरस्त कर दिया था, जिस पर अभी फैसला आना है। वहीं महापौर पद के आरक्षण पर भी स्टे चल रहा है। अब यह भी तय नहीं है कि महापौर का निर्वाचन सीधे जनता द्वारा किया जाएगा या फिर पार्षद चुनेंगे। वहीं पिछले दिनों जो मतदाता सूची को अंतिम रूप दिया गया था, उसी के आधार पर चुनाव कराए जाना है। इंदौर के उप जिला निर्वाचन अधिकारी प्रतुल्ल सिन्हा के मुताबिक नगर पालिकाओं, पंचायतों की फोटोयुक्त मतदाता सूची के वार्षिक पुनरीक्षण हेतु जारी कार्यक्रम के मुताबिक अंतिम प्रकाशित मतदाता सूची 10 मई को प्रकाशित कर दी गई, जिसमें निगम के सभी 85 वार्डों के साथ-साथ जिले की आठ नगर परिषद् के प्रत्येक वार्ड और चार जनपद पंचायतों के समस्त ग्राम पंचायतों में रजिस्ट्रीकरण अधिकारी कार्यालय एवं अन्य विहित स्थानों पर किया गया है। प्रकाशन की सूचना राज्य निर्वाचन आयोग के पोर्टल पर भी अपलोड कर दी गई है। दूसरी तरफ राजनीतिक दलों का कहना है कि वार्डों की मतदाता सूची में भारी विसंगती है, क्योंकि वार्ड विभाजन त्रुटिपूर्ण किया गया। हजार-दो हजार की बजाय, सीधे 15-20 हजार व उससे भी अधिक वार्डों के बीच मतदाताओं की संख्या के मामले में अंतर है। सभी 85 वार्डों में कुल मतदाताओं की संख्या 18 लाख 35 हजार 316 बताई गई है और सालभर में लगभग 50 हजार मतदाता कम हो गए। सबसे बड़ा वार्ड 79 सुखनिवास है, जहां 35881 मतदाता हैं, तो सबसे छोटा वार्ड 52 मूसाखेड़ी है, जहां 14 हजार 11 मतदाता हैं। यानी इन दो वार्डों में ही ढाई गुना से अधिक अंतर साफ नजर आ रहा है। दूसरी तरफ महिला आरक्षण, महापौर से लेकर अन्य परेशानी भी कम नहीं है। दूसरी तरफ राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने आज सभी कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारियों की साढ़े 12 बजे से वीडियो कान्फ्रेंस आयोजित की है।
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