उज्जैन। दो दिवसीय ज्योतिष वास्तु सम्मेलन का गत दिवस समापन हो गया। इस दौरान सम्मेलन में शामिल हुए दो दर्जन से अधिक विद्वतजनों का सम्मान किया गया। सम्मेलन में प्रमुख रूप से हिंदू त्यौहारों की दो-दो तिथियों की समस्या उठाई गई और सर्वानुमति से किसी एक तिथि पर त्यौहार मनाने पर जोर दिया गया।
ससुराल में संबंध अच्छे रहे तो राहु श्रेष्ठ फल देगा
संगोष्ठी के दौरान ज्योतिषाचार्य ने यह कहा कि हम अपने परिवार में मधुर संबंध रखेंगे तो ग्रह बैलेंस रहेंगे माता, पत्नी व कन्या से मधुर संबंध शनि मंगल और राहु को बैलेंस करते हैं। राहु को अच्छा रखने के लिए ससुराल पक्ष से मधुर संबंध रखना जरूरी है। जिस घर में नारी के आंसू और प्रताडऩा होती है वहां पर ग्रह दोष और वास्तु दोष भी हो ही जाते हैं। ढाई अक्षर प्रेम का पड़े तो ज्ञानी होय प्रेम और विश्वास के साथ जीवन को आगे बढ़ाएंगे तो दुख तकलीफ से बचेंगे। नारी में शुक्र का वास है, प्रत्येक नारी का सम्मान करें। शुक्र मजबूत होगा तो धन धान और सुख समृद्धि में वृद्धि होगी। किसी के मार्ग में बाधा ना बने, सभी के लिए खुशियों को कामना करेंगे तो राहु मंगल ठीक रहेगा। 24 घंटे में 2 घंटे शरीर को दीजिए, स्वस्थ शरीर से भी अनेक बढ़ाएं दूर होती है और ग्रह भी बैलेंस रहते हैं। जीवन में लोगों की मदद और देने का भाव रखेंगे तो किसी प्रकार की कमी आपके जीवन में कभी नहीं आएगी।
सिंगल चाइल्ड … सिंगल पेरेंट
सूर्य चंद्र को बैलेंस रखने के लिए माता-पिता का होना जरूरी है आज के दौर में सिंगल पैरंट्स बहुत ही परेशानी का कारण आगे जाकर बनेंगे। यह प्रथा हमारी संस्कृति में निषेध है। जब जन्म देने वाले पिता ही नहीं होंगे तो सूर्य कैसे मजबूत करेंगे। या जब एक अकेला पुरुष ही बच्चा उत्पन्न करेगा, ऐसे में माता नहीं रहेगी तो चंद्र को कैसे ठीक रख पाएंगे।
दो दिवाली और दो होली नहीं होना चाहिए
कार्यक्रम में जीडी वशिष्ठ, जयप्रकाश लाल धागे वाले, अनिल वत्स दिल्ली ने पंचांग में हिंदू त्यौहारों पर भिन्न-भिन्न तिथियों पर एकमत होने के लिए अपना मत दिया। उन्होंने कहा कि यह स्थिति हास्यास्पद नहीं होना चाहिये। दो दीपावली और दो होली के स्थान पर सर्वानुमति बनानी चाहिए। इस दौरान डॉ. प्रदीप पंड्या, संगीता शर्मा, रमण सोलंकी, स्वामी मुस्कुराके ने भी संबोधित किया।
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