भोपाल। नए क्षेत्रों की तलाश में 30 से ज्यादा बाघों ने पन्ना बाघ अभयारण्य को छोड़ा (More than 30 tigers left Panna Tiger Reserve) है। एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने कहा कि यह प्राकृतिक एवं स्वाभाविक प्रक्रिया है। 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश(Madhya Pradesh) में बाघों (Tigers) की संख्या सबसे अधिक है। यहां कान्हा(Kanha), बांधवगढ़(Bandhavgarh), पेंच(Pench), सतपुर(Satpur ) और पन्ना टाइगर रिजर्व (Panna Tiger Reserves) हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व (Panna Tiger Reserves) राजधानी भोपाल से करीब 330 किमी दूर स्थित है।
लगभग एक दशक पहले यहां एक भी बाघ नहीं बचा था जिसकी वजह से बाघ पुनरुत्पादन योजना शुरू की गई थी। बीते रविवार को पन्ना बाघ अभयारण्य (Panna Tiger Reserves) से बाहर आए बाघ का कंकाल सतना जिले से बरामद किया गया। अभयारण्य के क्षेत्रीय निदेशक उत्तम कुमार शर्मा के मुताबिक प्रारंभिक जांच में पाया गया कि शिकारियों ने बाघ की हत्या की।
बाघ हीरा की हत्या में तीन शिकारी गिरफ्तार
उत्तम कुमार शर्मा ने कहा कि रेडियो कॉलर लगे बाघ की मौत सतना में हुई है और उसकी पहचान संख्या पी234-31 है। उसे हीरा के नाम से जाना जाता था। उसका जन्म दो साल पहले हुआ था। वन विभाग के बयान के मुताबिक फिलहाल हीरा की मौत के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। शिकारियों की पहचान रामप्रकाश बागड़ी, कृष्ण कोल और मुन्ना के रूप में हुई है।
4 वर्षों में 200 से अधिक बाघों की मौत
वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते चार वर्षों में देश में 200 से अधिक बाघों की मौत हुई है। इनमें से 63 से ज्यादा बाघों का शिकार किया गया। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में 116 और 2018 में 85 बाघों की मौत हुई है। साल 2016 में 120 बाघों की मौतें हुईं थीं, जो साल 2006 के बाद सबसे अधिक थी।
बाघों की मौत के मामले
इस साल अब तक मध्य प्रदेश में 31 बाघ, महाराष्ट्र में 21, कर्नाटक 13, यूपी 7, केरल 5, असम 5, छत्तीसगढ़ 3, बिहार 2 बाघों की मौत हुईं है। मध्य प्रदेश में बीते 6 सालों में 170 बाघों की जान जा चुकी है साल 2018 में जून में मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व से ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिजर्व भेजे गए बाघ महावीर का शव जंगल में पड़ा मिला था।
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