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    उज्जैन में अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को 3 करोड़ से अधिक की राशि दी गई

  • September 23, 2024

    • हर साल बढ़ रहा आँकड़ा, सरकार वर वधु दंपत्ति को दे रही 2 लाख रुपए

    उज्जैन। जात पात को भूल कर एक हुए जोड़ों को प्रशासन इस साल जनवरी से अब तक 1 करोड़ 22 लाख का लाभ दिलाया गया है। पिछले तीन सालों में यह आंकड़ा 3 करोड़ के भी पार पहुँच चुका है। योजना में ऐसे दंपतियों को पुरस्कृत किया गया है, जिसमें सामान्य जाति के युवक या युवती द्वारा अनुसूचित जाति के युवक या युवती से विवाह किया हो।


    उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में छुआछूत को दूर करने के लिए अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित किया जा रहा है और इसके लिए योजना भी चलाई जा रही है। इस साल अभी तक 61 दंपतियों को इस योजना का लाभ मिला है। उन्हें एक करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि पुरस्कार स्वरूप दी गई है। आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2022-23 में उज्जैन में ऐसे 75 लड़का-लड़की थे, जो अंतरजातीय विवाह कर चुके है। वहीं वर्ष 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 129 तक पहुँच गई है लेकिन गत वर्ष के 66 विवाह जोड़ों को ही मुआवजा दिया गया हैं। वहीं इस साल अभी तक कुल 98 अंतरजातीय विवाह हुए हैं इसमें से 61 जोड़ों को प्रशासन की ओर से 1 करोड़ 22 लाख रु का भुगतान करवाया गया हैं। शेष प्रकरण में अभी प्रक्रिया में हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों की तुलना में अब अंतरजातीय विवाह का चलन उज्जैन में काफी तेजी से बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि उज्जैन में 95 प्रतिशत अंतरजातीय विवाह माता-पिता की रजामंदी से हो रहे हैं। माता-पिता ऐसी शादियों के लिए खुद आगे आ रहे हैं। सरकार अनुसूचित जाति वर्ग के युवक और युवती से सामान्य या पिछड़ा वर्ग के युवाओं द्वारा शादी करने पर प्रत्येक जोड़े को दो लाख रुपए की राशि देती है। सरकार द्वारा यह योजना समाज में जातिगत भेदभाव को खत्म करने और सामाजिक समरसता के उद्देश्य से शुरू की गई हैं, इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत उज्जैन में हर साल कई जोड़े लाभान्वित होते आ रहे हैं।

    एक साल के अंदर करना होगा आवेदन
    विशेष विवाह अधिनियम के अनुसार एक पक्ष अनुसूचित जनजाति व दूसरे पक्ष के सामान्य कोटे के होने की सूरत में सरकार के नियमों के अनुसार लाभ दिलाया जाता है, लेकिन यदि विवाहित जोड़े एक साल के अंदर-अंदर प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन नहीं देते हैं तो उन्हें इस योजना से वंचित रह जाना पड़ता है। हालांकि कई मामलों में समाज के डर से जोड़े सामने ही नहीं आते हैं।

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