कपिल सूर्यवंशी
सीहोर। जिन लोगों की आमदनी कम है, और रोजगार के भी साधन उपलब्ध नहीं है, आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सरकार की राशन योजना का लाभ दिया जा रहा है। लेकिन अब जिले में हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि आधी से भी ज्यादा आबादी सरकारी राशन के भरोसे हो चली है। यह आंकड़े रोजगार के दावों की पोल खोल रहे हैं, अब समृद्ध और आत्म निर्भर मध्यप्रदेश का नारा बेमानी साबित होता हुआ नजर आ रहा है।उल्लेखनीय है जिले में अब करीबन 13 लाख की आबादी है, लेकिन यहां रोजगार के पर्याप्त संसाधन न होने के कारण से अधिकांश परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं जो दो टाइम की रोटी के लिए भी सरकारी राशन योजना पर निर्भर है। इसका अंदाजा राशन की दुकानों पर राशन लेने के लिए पहुंचने वालों की सं या देखकर आसानी से लगाया जा सकता है।
जिले में नौ लाख लोग ले रहे राशन
जिला खाद्य आपूर्ति विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस समय जिले में 2 लाख 537 राशन कार्ड हैं, जिन पर 9 लाख 40 हजार 574 लोग राशन ले रहे हैं। यह जिले की कुल आबादी की आधी से अधिक सं या है। इस समय गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों से लेकर कुल 32 श्रेणियों में आने वाले लोगों को सरकार की राशन योजना का लाभ मिल रहा है।
कोरोना काल के बाद बढ़े कार्ड
कोरोना काल में कई लोगों के काम काज छूटे और आर्थिक रूप से वह कमजोर हो गए, जब से अभी तक कई लोग संभल नहीं पाए हैं। वर्ष 2020 में जहां 1 लाख 78 हजार 811 राशन कार्ड थे, अब बढ़कर 2 लाख से अधिक हो गए हैं। बीते दो सालों में 21 हजार नए कार्ड बने हैं। वहीं 8 हजार नए लोगों को राशन योजना का लाभ मिलना शुरू हुआ है।
नहीं दिख रहे धरातल पर प्रयास
सरकारी राशन योजना के लाभ लेने वालों का आंकडा बढ़ता ही जा रहा है, यह चिंताजनक पहलू है, क्योंकि सरकार और प्रशासन आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का सपना संजो रहा है, लेकिन सरकारी राशन पर लोगों की बढ़ती निर्भरता से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सशक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इसलिए एक बड़ी आबादी आज भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है।
इनका कहना है
जो पात्र हितग्राही आवेदन करता है हम उसको राशन मुहैया कराते हैं, अलग अलग श्रेणियों में आने वाले पात्र हितग्राहियों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।
प्रवीण सिंह, कलेक्टर सीहोर
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