इन्दौर (Indore)। शहर में भूमाफियाओं (land mafia) को किस हद तक संरक्षण (Protection) मिलता है इसका उदाहरण है खुडै़ल क्षेत्र (spade area) में काटे गए रजत फार्म हाउस। तीस साल बाद केवल इसके कर्ताधर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज हो सका है, जबकि आधा दर्जन से अधिक लोग फार्म हाउस की आस में दुनिया छोड़ गए, लेकिन किसी को भी न तो फार्म हाउस (farm house) मिला न उनके पैसे।
कल खुड़ैल पुलिस ने काजी पलासिया में रजत फार्म हाउस के नाम से फार्म हाउस काटकर लोगों से लाखों रुपए लेकर धोखाधड़ी करने के मामले में तीस साल बाद उसके कर्ताधर्ता गीता बंग और डॉक्टर इंद्रा सोढ़ा के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया। बताते हैं कि कुछ समय पहले इस मामले की जांच अपर कलेक्टर ने की थी, जिसके बाद केस दर्ज हुआ। यह फार्म हाउस 1992 में काटे गए थे। बताते हैं कि तीन सौ से अधिक लोगों से पैसे लिए गए थे। पांच हजार स्क्वेयर फीट के ये फार्म हाउस थे। इसके लिए 65 हजार रुपए लिए गए थे और एक गोल्डन कार्ड दिया गया था, लेकिन किसी को भी फार्म हाउस नहीं मिला। यह जमीन किसी और को बेच दी गई। पीडि़तों ने हर भूमाफिया के खिलाफ शहर में चली मुहिम के दौरान शिकायत की, लेकिन किसी को न्याय नहीं मिला।
परिजनों ने बताया कि…
एक पीडि़त विनोद परदेसी ने बताया कि उनके पिता बाबूलाल परदेसी से 65 हजार रुपए जमा कर फार्म हाउस खरीदा था। उनका निधन हो गया, लेकिन उनको आज तक फार्म हाउस नहीं मिला। अभी भी इस मामले में केवल केस दर्ज हुआ है, फार्म हाउस कब मिलेगा पता नहीं। उनका कहना है कि उनके पिता के अलावा आधा दर्जन लोग दुनिया छोड़ गए हैं। तारे मैडम, रामजी शर्मा, श्याम और कुछ अन्य हैं, जो उनके पिता के परिचित रहे हैं।
डॉक्टर, इंजीनियर, मंत्री के रिश्तेदार भी…
पीडि़तों ने बताया कि सबसे अधिक ठगी का शिकार हुए लोगों में डॉक्टर और इंजीनियर हैं और सभी इंदौर के हैं, क्योंकि ये फार्म हाउस आरोपियों के पतियों ने काटे थे, जो दोनों डॉक्टर थे। इसके अलावा कुछ ऐसे प्रभावी लोग भी हैं, जो पूर्व मंत्रियेां के रिश्तेदार हैं। बोहरा समाज के भी काफी लोग हैं। बताते हैं कि आरोपियों ने अपने कई रिश्तेदारों को भी लाखों का चूना लगा दिया। कई लोगों की तो रजिस्ट्री भी है, लेकिन फिर भी किसी को कब्जा नहीं मिला।
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