नई दिल्ली । रक्षा मंत्री (Defense Minister) राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने सोमवार को कहा कि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (DPSUs) को कमजोर करने की कोई कोशिश नहीं की गई (No Attempt was made to Weaken), बल्कि 80 फीसदी से ज्यादा (More than 80 percent) खरीद (Purchase) डीपीएसयू (DPSUs) से की गई है। कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार इन डीपीएसयू को दायित्व मुक्त बनाने के लिए इक्विटी और सहायता देकर डीपीएसयू को मजबूत करने का प्रयास कर रही है।
इससे पहले, उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, रक्षा राज्य मंत्री, अजय भट्ट ने कहा कि सरकार रक्षा बलों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह तब होगा जब देश प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए 2015 में खोला गया था और पिछले सात वर्षो में सरकार ने रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए 353 लाइसेंस दिए हैं।
भट्ट ने कहा, “2001 से 2014 के दौरान, रक्षा क्षेत्र में कुल 1,382 करोड़ रुपये का एफडीआई था, जो पिछले सात वर्षों में बढ़कर 3,343 करोड़ रुपये हो गया, हम आत्मानिर्भर भारत के तहत सब कुछ बना रहे हैं और हम उन घटकों की खरीद एफडीआई के तहत कंपनियों को देते हैं, जिनकी सामग्री या तकनीक हमारे पास उपलब्ध नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा उपकरणों का निर्माण करने वाले अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ-साथ डीपीएसयू को भी आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इससे उनके बीच प्रतिस्पर्धी माहौल बनेगा। रक्षा राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, रक्षा खरीद का 68 प्रतिशत से अधिक घरेलू क्षेत्र को दिया गया है।
तृणमूल सांसद डोला सेन के एक सवाल के जवाब में भट्ट ने कहा कि आयुध निर्माणी बोर्ड के तहत कंपनियों के कर्मचारियों की संख्या में कोई कमी नहीं हुई है, लेकिन सरकार ने उन्हें बेहतर समन्वय बनाने के लिए फिर से तैयार किया है। भट्ट ने आगे कहा, “अब बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने वाली कंपनियां एक प्रशासनिक इकाई के अधीन होंगी।” रक्षा राज्य मंत्री ने सदन को यह भी बताया कि वर्तमान में लखनऊ और चेन्नई में दो रक्षा गलियारे काम कर रहे हैं, जब भी आवश्यकता होगी, ये गलियारे देश के अन्य हिस्सों में भी खोले जाएंगे।
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