- महाधिवक्ता कार्यालय की टीम को सालभर पूरा…1125 प्रकरणों में शासन की ओर से किए जवाब प्रस्तुत
इंदौर।कोरोना के चलते अदालतों का कामकाज भी प्रभावित हुआ है। अधिकांश समय ऑनलाइन ही सुनवाई होती रही। बावजूद इसके अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय इंदौर ने सालभर में 73 फीसदी से अधिक प्रकरणों का निराकरण करवाया, जिसमें शासन भी प्रमुख पक्षकार था। 25473 प्रकरणों में पैरवी शासन की ओर से की गई, जिसमें से 18666 प्रकरण निराकृत किए गए। वहीं 1125 प्रकरणों में संबंधित विभागों से सामंजस्य कर तय समय सीमा में हाईकोर्ट में जवाब भी पेश किए गए, जिनमें से 749 लम्बित और 376 निराकृत प्रकरण शामिल है।
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद महाधिवक्ता कार्यालय में भी परिवर्तन किया गया और अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव और अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक दलाल सहित पूरी टीम को बनाया गया। 6 जून को महाधिवक्ता श्री कौरव द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय इंदौर में दो अतिरिक्त महाधिवक्ताओं के साथ दो उप महाधिवक्ता और एक शासकीय अधिवक्ता की टीम गठित की गई। इसके अलावा श्रीमती अर्चना खेर व श्रेयराज सक्सेना उपमहाधिवक्ता के रूप में नियुक्त किए गए और युवा पैनल लॉयर्स की टीम ने अपना काम शुरू किया और लगभग 6 माह बाद अभी 18 जनवरी को 9 और शासकीय अधिवक्ता इस टीम में शामिल किए गए, जिससे प्रकरणों के निराकरण और समय सीमा में जवाब प्रस्तुत करने के काम में भी गति आई। अभी लॉ ऑफिसरों ने कोरोना संक्रमण की चुनौतियों से जूझते और सीमित टीम के बावजूद एक साल के अल्प कार्यकाल में ही 73 फीसदी से अधिक प्रकरणों का निराकरण करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि हमारी टीम ने कोविड संक्रमण काल में लम्बित प्रकरणों के त्वरित निराकरण की पहल की और अभी यह बदलाव आया कि मौजूदा हालातों के चलते मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में फिजिकल सुनवाई की बजाय अधिकांश प्रकरणों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही सुनवाई चल रही है। ऐसे में शासन का पक्ष अधिक मजबूती से रखने और समय पर जवाब देने की प्रक्रिया भी चुनौतीपूर्ण बन गई है। मगर उनकी टीम ने बीते एक साल में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की है। आंकड़ों पर नजर डालें तो इस एक साल की अवधि में महाधिवक्ता कार्यालय इंदौर की ओर से 25473 प्रकरणों में पैरवी की गई जिनमें से 18666 निराकृत (डिस्पोज) कराए गए। यह करीब 73.27 प्रतिशत है। यानी औसतन हर 4 प्रकरणों में से 3 प्रकरणों का निराकरण कराया गया। यह उल्लेखनीय उपलब्धि है। इसी तरह लंबित प्रकरणों में शासन की ओर से पेश किए जाने वाले जवाब में भी गति लाई गई।