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चीन में रोज हॉस्पिटल पहुंच रहे 7 हजार से ज्यादा बच्चे, इस नए वायरस से क्या भारत को है खतरा?

November 26, 2023

बीजिंग। चीन (China) से एक बार फिर नया खतरा पैदा होता दिख रहा है. उत्तरी चीन में बच्चों में निमोनिया जैसी बीमारी फैल रही है. इनसे उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बारे में चीन से जानकारी मांगी थी. चीन ने जवाब देते हुए बताया कि बच्चों में निमोनिया जैसे मामलों का बढ़ना ‘असामान्य’ या ‘नई बीमारी’ नहीं है. चीन ने बताया है कि कोविड (Covid) प्रतिबंध हटाने की वजह से फ्लू जैसी बीमारी बढ़ रही है.


चीन में फैल रही इस बीमारी को लेकर भारत में भी अलर्ट है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि उत्तरी चीन में बच्चों में H9N2 मामलों के फैलने और सांस से जुड़ी बीमारियों के मामलों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि चीन में फैल रहे H9N2 वायरस से भारत पर कम खतरा है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी कहा कि WHO को अब तक रिपोर्ट किए गए H9N2 वायरस के इंसान से इंसान में फैलने और कम मृत्यु दर की संभावना है.

H9N2 वायरस क्या है?

बर्ड फ्लू या एवियन फ्लू A टाइप का इन्फ्लुएंजा वायरस है. H9N2 इसी इन्फ्लुएंजा A वायरस का सबटाइप है. इससे न सिर्फ पक्षी, बल्कि इंसान भी संक्रमित हो सकते हैं. H9N2 वायरस पहली बार 1966 में अमेरिका में सामने आया था. तब ये वायरस जंगली टर्की पक्षी के झुंड में पाया गया था. अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फोर्मेशन (NCBI) के मुताबिक, H9N2 वायरस दुनियाभर में जंगली पक्षियों में पाया जाता है, लेकिन कुछ-कुछ इलाकों में ये पॉल्ट्री फार्म के पक्षियों में भी मिल सकता है.

अगली महामारी का कारण हो सकता है!

NCBI की एक रिसर्च के मुताबिक, H9N2 वायरस फ्लू जैसी अगली महामारी का कारण बन सकता है. WHO का मानना है कि जब एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस पॉल्ट्री फार्म में फैलता है तो उससे इसके इंसानों में भी फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

इंसानों को कितना खतरा?

  • माना जाता है कि H9N2 वायरस से इंसानों के संक्रमित होने का खतरा कम है, लेकिन ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि इसके लक्षण बहुत हल्के होते हैं और इस कारण कई बार इसकी रिपोर्ट भी नहीं होती.
  • इंसानों के इससे संक्रमित होने के मामले हॉन्गकॉन्ग, चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत और मिस्र में सामने आ चुके हैं. इंसानों के संक्रमित होने का सबसे पहला मामला 1998 में हॉन्गकॉन्ग में सामने आया था.
  • ये वायरस पॉल्ट्री फार्म में सबसे ज्यादा फैलता है. 2008 से 2011 के बीच बांग्लादेश के पॉल्ट्री फार्म में ये वायरस खतरनाक रूप से फैल गया था. 2014 से 2016 के दौरान म्यांमार और 2017 में बुर्किना फासो में इसने हड़कंप मचा दिया था.

भारत में कब आया था पहला केस?

फरवरी 2019 में. महाराष्ट्र के मेलघात जिले की कोर्कु जनजाति के दो साल के एक बच्चे की मौत हो गई थी. इसके बाद आसपास के 93 गांवों के सैम्पल लिए गए थे. सैम्पल की जांच में पता चला कि जिस बच्चे की मौत हुई थी, वो H9N2 वायरस से संक्रमित था. बच्चे को दो दिन तक बुखार, कफ, सांस लेने में दिक्कत और दूध पीने में कठिनाई हो रही थी.

क्या अभी भारत पर कोई खतरा है?

फिलहाल तो यही कहा जा रहा है कि चीन में फैल रही इस बीमारी का भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा.हालांकि, राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. अजय शुक्ला ने न्यूज एजेंसी से कहा कि चीन में बच्चों में जो बीमारी फैल रही है, वो माइकोप्लाज्मा बैक्टिरियल संक्रमण का मामला हो सकता है. उन्होंने कहा, कोविड के समय में चीन में सबसे सख्त लॉकडाउन लगा था और इस वजह से लोगों की इम्युनिटी कमजोर हो गई. पूरी दुनिया इस स्थिति को गंभीरता से देख रही है. अब तक भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है. अगर भारत में कुछ भी रिपोर्ट किया जाता है तो हमें सावधानी बरतनी होगी.

 

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