उज्जैन। शहर में 50 से ज्यादा आरा मशीनें चल रही हैं, लेकिन लाइसेंस सिर्फ 20 के ही पास हैं। आलम यह है कि शहर में कई फर्नीचर और लकड़ी उद्योग वाले एक मशीन का लाइसेंस लेकर दो से तीन मशीनें संचालित कर रहे हैं। इस सबकी जानकारी वन विभाग को बखूबी है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हो रहा।
उल्लेखनीय है कि उज्जैन रेंज के अंतर्गत शहर में वन विभाग ने करीब 20 आरा मशीनों को लाइसेंस दिए हैं लेकिन 50 से ज्यादा छोटी-बड़ी आरा मशीनों का संचालन शहर में संचालित फर्नीचर उद्योग और लकड़ी उद्योग वाले लोग चोरी छिपे कर रहे हैं। कई फर्नीचर उद्योग संचालकों ने यह मशीनें कारखानों से अलग दूसरी जगहों पर लगवाई हैं ताकि इन्हें पकड़ा न जा सके। इन मशीनों पर अधिकतर अवैध लकडिय़ाँ ही चिराई के लिए लाई जाती हैं। इससे मशीन संचालक मोटी कमाई कर रहे हैं, जो कई सालों से वन विभाग को राजस्व का चूना भी लगा रहे हैं लेकिन इसके बाद भी कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके चलते अवैध आरा मशीन बेधड़क संचालित हो रही है। अगर यही सिलसिला कुछ और वर्षों तक चलता रहा तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
कई सालों से जांच तक नहीं हुई
शहर में लाइसेंसधारी आरा मशीन संचालक को लकड़ी चीरने के दौरान वृक्ष का नाम, चिराई के बाद लकड़ी को बेचने और बचने वाली लकड़ी का विवरण रजिस्टर में अंकित करना होता है। इसके अलावा आरा मशीन परिसर में सूचना पट्ट पर मशीन के बारे में जानकारी, लकडिय़ों का स्टॉक तथा लाइसेंस रखना आवश्यक है लेकिन नियमों की धज्जियाँ उड़ाने वाले आरा मशीन संचालकों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर वार्षिक जाँच तक समय पर नहीं हो रही है।
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