उज्जैन। महाकाल क्षेत्र में अभी फिलहाल 250 से अधिक होटलों और लॉजों का अवैध रूप से संचालित हो रहा है तथा महाकाल लोक के उद्घाटन के बाद तो इनकी बाढ़ सी आ गई है। यहाँ न तो कोई सुरक्षा के इंतजाम हैं और न ही कोई सुविधा है। अधिकारी भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और निचले स्तर के कर्मचारी वसूली करने में लगे हैं। मिली जानकारी के अनुसार महाकाल क्षेत्र में इन दिनों लूट मची हुई है और वहाँ का बाजार पूरा लूटमार का अड्डा बना हुआ है, फिर भले ही बात पूजन सामग्री, कपड़े, खाने-पीने का सामान बेचने की हो या लॉज या होटल की। जयसिंह पुरा, महाकाल घाटी, बेगम बाग, हरिफाटक ब्रिज के आस पास, इंदौर रोड पक्की कालोनियों में नीलगंगा क्षेत्र में इन दिनों अवैध होटलों की बाढ़ आई हुई है और कई ने तो घरों के कमरों को ही लॉज और विश्राम गृह में तब्दील कर दिया है। श्रद्धालुओं की भीड़ आत है तो कमरे में ठहरने के दो हजार रुपये लोगों से लिए जा रहे हैं और उन्हें कमरे में सुलाया जा रहा है। वर्तमान में डेढ़ सौ से अधिक नए ऐसे रुकने के ठिकाने बन गए हैं जो पूरी तरह से अवैध हैं। इसी प्रकार जो पुराने होटल लॉज हैं वे भी अनियमितता से चल रहे हैं और उसमें न तो सुरक्षा के कोई उपाय हैं और न ही उन्होंने नगर निगम से होटल लाइसेंस चलाने की अनुमति ली है। बताया जा रहा है कि हर महीने वसूली दी जा रही है जिसके ऐवज में सारे नियमों को ताख में रखा जा रहा है। ऐसे में कभी भी दुर्घटना हो सकती है और पूर्व में भी ऐसे हादसे हो चुके हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह होटल खोलने के लिए कड़े नियम बनवाए और उनका सख्ती से पालन कराए तथा जाँच के लिए एक टीम का गठन कर जिस तरह मुख्य पर्व पर ऑटो और मैजिक वाले मनमाने दाम कर देते हैं, उस पर भी रोक लगवाए। यही हालत होटलों लॉज वालों की है जिस तरह फ्लाइट की टिकट एकदम से बढ़ा दी जाती है उसी तर्ज पर होटल वालों के भी कोई रेट फिक्स नहीं है एवं जो कमरा 500 रुपया आम दिनों में मिलता है, भीड़ बढऩे पर उसके तीन से चार हजार रुपये तक ले लिए जाते हैं। इसके अलावा साफ-सफाई का भी कोई मापदंड नहीं है और न ही पार्किंग की व्यवस्था है ऐसे में जगा जगा रुकने वाले रोड पर ही गाडिय़ां खड़ी कर रहे हैं।
छोटी छोटी गलियों में मकानों में बना लिए गेस्ट हाउस
वर्तमान में महाकाल के आसपास के क्षेत्र में गली-कूचों में होटल और लॉज बना डाले हैं। कई लोगों ने अपने मकानों को खाली करा लिया है और खुद किराए के मकान लेकर रह रहे हैं और अपने मकानों में पलंग और गादी डालकर रेस्ट हाऊस बना डाला है और एक दिन के श्रद्धालुओं से 1500 से 2000 रुपए तक वसूल रहे हैं। ऐसे ही हालात चाय-नाश्ते की दुकानों के भी बने हुए हैं। बाहरी श्रद्धालुओं को देखकर ये दुकान चाय की कीमत 10 रुपए और पोहे-समोसे और कचोरों 15 रुपए में बेचने लग जाते हैं। पूरे शहर में यही नजारा दिख रहा है।
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