उज्जैन। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बीच पिछले 200 दिनों के अंतराल में जिला क्षय चिकित्सालय की टीम द्वारा 2100 से ज्यादा नए टीबी मरीजों को ढूंढ निकाला गया। इतना ही नहीं कोरोना खतरे के बीच विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों ने दिन-रात प्रयास करते हुए पूर्व से उपचाररत 95 प्रतिशत टीबी के मरीजों को ठीक भी कर दिया।
उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान जहां एक ओर पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का ध्यान पूरी तरह कोरोना महामारी के नियंत्रण को बचाव पर था, वहीं दूसरी ओर जिला क्षय चिकित्सालय के अधिकारी, कर्मचारी लगातार टीबी के मरीजों के उपचार में लगे हुए थे। इतना ही नहीं उन्होंने पुराने मरीजों को समय पर दवा और उपचार देने के साथ-साथ नये मरीजों के सेंपल लेना तथा पॉजिटिव पाये जाने पर टीबी का उपचार करना भी जारी रखा था। जिला क्षय अधिकारी डॉ. सुनीता परमार ने बताया कि इस साल कोरोना महामारी के बीच 1 जनवरी से लेकर 28 जुलाई तक विभाग द्वारा पूरे जिले में 2 हजार 126 नये मरीजों को तलाशा गया तथा उनका उपचार भी शुरू किया गया है। इनमें से 1338 टीबी के मरीज जिला अस्पताल के क्षय चिकित्सालय में चिन्हित किए गए। इसके अलावा 788 मरीज प्रायवेट उपचार के बाद यहां लाए गए और उनका भी उपचार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि वैसे तो कोरोना महामारी के पहले 6 माह के अंतराल में विभाग द्वारा जिले में लगभग 3 हजार नये टीबी के मरीजों को परीक्षण के बाद चिन्हित कर उपचार किया जाता था, लेकिन कोरोना काल में पिछले 200 दिनों में यह संख्या कुछ कम हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि जिले में क्षय चिकित्सालय द्वारा उपचाररत टीबी के मरीजों में से पिछले 6 महीनों में 95 फीसदी से अधिक मरीज ठीक हुए है। कोरोना काल में क्षय चिकित्सालय में लगातार मरीजों का उपचार किया गया। इसी के परिणाम स्वरूप ठीक हुए मरीजों का प्रतिशत 95 प्रतिशत से अधिक रहा है।
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