नई दिल्ली: देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 20 हजार से ज्यादा पद खाली हैं. केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने संसद में बताया कि रिक्तियों का होना और उन्हें भरा जाना एक सतत प्रक्रिया है. ये रिक्तियां सेवानिवृत्ति, त्यागपत्र और छात्रों की बढ़ी हुई संख्या के कारण अतिरिक्त आवश्यकताओं की वजह से उत्पन्न होती हैं. देशभर स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी में बड़ी संख्या में टीचिंग और नॉन-टीचिंग के पद खाली है.
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 18 हजार 940 पद हैं जिनमें से 5 हजार 60 पद खाली हैं. जबकि गैर शिक्षण पद की बात की जाए तो कुल 35 हजार 640 पद में से 16 हजार 719 पद खाली हैं. कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो 21 हजार 779 पद खाली हैं. ये खाली पदों का विवरण 1 अप्रैल 2024 तक का है. बताते चलें कि यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार देश में कुल 56 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं.
संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने बताया है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को रिक्तियों को नियमित तरीके से भरने का निर्देश दे दिया गया है. खाली पदों को भरने का काम केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का है. उन्होंने बताया है कि विशेष भर्ती अभियानों के जरिए संस्थानों में 9 हजार 650 से ज्यादा पद भरे गए हैं. इनमें 1281 पद अनुसूचित जातियों (एससी), 634 पद अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और 2011 अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के हैं.
उन्होंने कहा है कि गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती के लिए संस्थानों के लिए समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. जिससे वह इस संबंध में डीओपीटी के माध्यम से परिचालित भारत सरकार की आरक्षण नीति का पालन कर सकें.
लोकसभा की प्रथम घंटे की अवधि “प्रश्नकाल” के रूप में जानी जाती है, जहां सवाल पूछे जाते हैं. सदस्य संसद में विभिन्न प्रकार के प्रश्नों के माध्यम से सरकार से जवाब मांग सकते हैं. ये सवाल चार प्रकार के होते हैं. जिनमें तारांकित, अतारांकित, अल्प सूचना प्रश्न और गैर सरकारी सदस्यों से पूछे गए प्रश्न शामिल हैं.
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