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    इंदौर में 2 हजार से अधिक नाबालिगों को विवाह वेदी पर बलि चढऩे से बचाया

  • February 14, 2024

    • उडऩदस्तों ने राजस्थान में बेची बच्चियों को कराया मुक्त, मौलवी और पंडितों को भी नहीं बख्शा
    • 30 साल में जागरूकता फैलाई… सख्त कार्रवाई की

    इंदौर, प्रियंका जैन देशपांडे। समाज में फैली बाल विवाह की कुरीति को रोकने के लिए इंदौर जिले ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। अब तक 2 हजार से अधिक नाबालिगों को न केवल विवाह वेदी पर बलि चढऩे से बचाया गया, बल्कि मौलवी, पंडित, बैंडबाजा और बरातियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करते हुए एफआईआर तक दर्ज कराई गई है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों सहित बाल विवाह रोधी उडऩदस्ता भी रीढ़ की हड्डी बनकर काम कर रहा है।

    इंदौर जिले के आसपास झाबुआ, आलीराजपुर, बुरहानपुर व राजस्थान से लगे सीमावर्ती इलाकों में अब भी बाल विवाह जैसी बड़ी कुरीति को अंजाम दिया जा रहा है, लेकिन इंदौर जिले ने नाबालिगों को बचाने के लिए कमर कस रखी है। पिछले दस साल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो दो सैकड़ा से अधिक बाल विवाह रोके जा चुके हैं, वहीं 30 सालों में लगातार की गई कार्रवाई से दो हजार से अधिक नाबालिग न केवल अपने पैरों पर खड़े हो पाए हैं, बल्कि सबसे ज्यादा लाड़लियों ने परचम भी लहराया है। कुरीतियों से बचाने के कारण बच्चियों की पढ़ाई जहां पूरी हुई है, वहीं समाज में भी जागरूकता आई है।

    धीरे-धीरे घटा आंकड़ा
    पिछले दस साल के आंकड़ों में सबसे ज्यादा मामले 2013 से 2020 के बीच बने हैं। लगभग हर साल 10 से 15 जोड़े नाबालिगों के धराए हैं। जैसे-जैसे विभाग ने जागरूकता अभियान छेड़ा आंकड़े घटते गए। 2005 में नायता मुंडला व हातोद में सामूहिक विवाह में एक साथ 17 से अधिक नाबालिगों का विवाह कराया जा रहा था, जिस पर रोक लगाते हुए पूरे विवाह समारोह को ही रोक दिया गया। वर्तमान वर्ष पर नजर दौड़ाई जाए तो समझाइश देकर भी बाल विवाह रुकवाए जा रहे हैं। 2022 में 5 एफआईआर दर्ज कराई गईं। वहीं 2023-24 में 12 नाबालिगों का विवाह रुकवाया जा सका। महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे कोर ग्रुप लाडो अभियान के सदस्य महेंद्र पाठक व देवेंद्र पाठक ने इसमें महती भूमिका निभाई। ज्ञात हो कि सन् 1992 से लगातार काम कर रहे इस कोर ग्रुप ने 1953 से अधिक बाल विवाह समझाइश देकर रुकवाए हैं।

    बच्ची को बेचा, ढूंढ लाई टीम
    राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में न केवल बाल विवाह को अंजाम दिया जा रहा है, बल्कि कई प्रकरणों में बच्चियों को बेचे जाने की घटनाएं भी सामने आई हैं। थाना एमआईजी के अंतर्गत कन्नू पटेल की चाल निवासी परिवार ने राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के ग्राम जोजवा में 14 साल की बच्ची को बेच दिया था। सूचना मिलते ही टीम मौके पर पहुंची और बच्ची को पुलिस की मदद से वापस घर तक पहुंचाया।

    मौेलवी और पंडित पर एफआईआर
    ज्ञात हो कि बाल विवाह करवाने वाले मौलवियों और पंडितों पर भी बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2007 के तहत कार्रवाई करते हुए प्रकरण बनाए गए हैं। 2022 में बर्फानीधाम के मंदिर में 15 वर्ष की नाबालिग का विवाह 19 वर्ष के नाबालिग से सम्पन्न कराया गया, जिसके बाद विजयनगर थाने में नामजद रिपोर्ट दर्ज हुई। वहीं एक अन्य प्रकरण में राजेंद्रनगर और मानपुर में भी बाल विवाह सम्पन्न कराए जाने के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। हालांकि यह प्रकरण अब भी धारा 910 व 911 के तहत कार्रवाई के लिए न्यायालय में विचाराधीन है।

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