इन्दौर। 300 से अधिक ब्लैक फंगस (Black fungus) मरीजों का इलाज एमवाय सहित निजी अस्पतालों में चल रहा है। इनमें लगभग आधे मरीज बाहर से आकर भर्ती हुए हैं। मध्यप्रदेश में ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित किया जा चुका है। मगर इंजेक्शनों का जबरदस्त टोटा है। कल भी मात्र ढाई हजार इंजेक्शन ही मिले, जबकि इससे 10 गुना की आवश्यकता है। 180 से अधिक आवेदन मेडिकल कॉलेज डीन के पास ही जमा हो गए हैं।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जहां अभी उतार पर है, वहीं ब्लैक फंगस (Black fungus) जैसी बीमारियों ने मरीजों को चपेट में लेना शुरू कर दिया। पहले जहां कोरोना के लिए रेमडेसिविर, टोसी इंजेक्शनों की मारामारी थी, उसी तरह अब ब्लैक फंगस के भी इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि एक मरीज को ही 75 इंजेक्शनों का डोज लगता है और 5 इंजेक्शन रोजाना लगाना पड़ते हैं। कल भी ढाई हजार इंजेक्शन मिले। हालांकि एमवाय अस्पताल (MY Hospital) में भर्ती मरीजों के लिए 2 हजार इंजेक्शन अभी तक मिल चुके हैं। सबसे अधिक एमवाय में ही डेढ़ सौ मरीज भर्ती हैं। वहीं अन्य निजी अस्पतालों (Private Hospitals) में भी ब्लैक फंगस (Black fungus) पीडि़त मरीजों का इलाज चल रहा है, लेकिन निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन दिनभर इंजेक्शनों के लिए ही दौड़ में लगे हैं। 180 से अधिक आवेदन मेडिकल कॉलेज को ही मिल गए हैं, जहां से कोई जवाब भी परिजनों को नहीं मिल रहा। इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित का कहना है कि जब तक इंजेक्शन संबंधित स्टॉकिस्ट के पास उपलब्ध नहीं हो, तब तक आवेदन पर साइन करने से फायदा क्या होगा..? ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा ही सूचना दी जाती है कि इंजेक्शन उपलब्ध हैं, तभी हम आवेदनों पर हस्ताक्षर करते हैं। एमवाय में भर्ती मरीजों के लिए कल 375 इंजेक्शन उपलब्ध हुए।
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