देहरादून । चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) में अभी तक 16 लाख से अधिक यात्री (More than 16 Lakh Passengers so far) आ चुके हैं। अभी कोई बैकलाग नहीं हैं (No Backlog Yet) । चारधाम यात्रा पर इस वर्ष अन्य वर्षों की तुलना में अधिक यात्री आए हैं। प्रतिदिन तकरीबन 55 हजार चारधाम के दर्शन कर रहे हैं। यह संख्या वर्ष 2019 की तुलना में अधिक है।चारधाम यात्रा 2022 मानसून के दृष्टिगत अब धीरे-धीरे यात्रियों की संख्या सीमित होगी। ऐसे में यात्रा के लिए हो रहे पंजीकरण में और ढील देने की तैयारी है।
सोमवार को अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री राधा रतूड़ी ने सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि चारधाम यात्रा प्रदेश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यात्रियों को सभी सुविधाएं मिलें, इसके लिए सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य कर रहे हैं। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस ने यात्रा में अभी तक 920 बिछड़े हुए यात्रियों को उनके स्वजन से मिलाया है। यात्रा के दौरान दुर्घटना, नदी में डूबने व अन्य मामलों में 300 यात्रियों को रेस्क्यू किया गया है। हेली आनलाइन बुकिंग फजीर्वाड़ा व फर्जी रजिस्ट्रेशन के संबंध में 16 मुकदमें दर्ज कर 20 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है।
सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि बिना पंजीकरण के आने वालों का भी आस्था को ध्यान में रखते हुए आफलाइन पंजीकरण किया जा रहा है। प्रतिदिन औसतन पांच से छह हजार श्रद्धालुओं को चारधाम के लिए पंजीकृत करते हुए यात्रा पर भेजा जा रहा है। यात्रा के प्रवेश द्वारा हरिद्वार में चमगादड़ टापू और ऋषिकेश में आइएसबीटी में ये पंजीकरण किए जा रहे हैं। पंजीकरण केंद्र तथा मंदिरों में दर्शन को पंक्ति बनाने के लिए टोकन की व्यवस्था की गई है।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में निगरानी समिति का गठन किया गया है। इस समिति में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, सचिव स्वास्थ्य राधिका झा और महानिदेशक सूचना व आयुक्त परिवहन रणवीर सिंह चौहान को शामिल किया गया है।
प्रदेश में चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं के दबाव को कम करने के लिए प्रदेश सरकार अब अन्य धार्मिक सर्किट भी विकसित करने की तैयारी कर रही है। इस कड़ी में महाभारत सर्किट , शैव सर्किट , शाक्य सर्किट और नागराजा सर्किट समेत पांच सर्किट विकसित किए जाएंगे। उद्देश्य यह कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु इन स्थानों पर भी जाएं। इससे न केवल चारधाम पर दबाव कम होगा, बल्कि नए सर्किट बनने से स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार व स्वरोजगार के द्वार भी खुलेंगे।
देवभूमि उत्तराखंड में तमाम धार्मिक स्थल ऐसे हैं, जिनकी देश-विदेश में काफी मान्यता है। पर्यटन सीजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए तो आते हैं, लेकिन शेष धार्मिक स्थानों तक विभिन्न कारणों से नहीं पहुंच पाते। ऐसे में सरकार अब इन स्थलों को धार्मिक सर्किट के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रही है। इस कड़ी में सबसे पहले महाभारत सर्किट पर काम शुरू किया जा रहा है। इसके अंतर्गत उत्तराखंड में जहां-जहां भी पांडव गए थे, उन स्थलों को सड़क मार्गों से जोड़ा जाएगा। यहां आने वाले यात्रियों को उन सभी स्थलों पर ले जाया जाएगा, जहां पांडवों ने कभी भ्रमण किया था।
शैव सर्किट के अंतर्गत प्रदेश सरकार श्रद्धालुओं को केदारनाथ के साथ ही पंच केदार समेत भगवान शिव के सभी मंदिरों के दर्शन कराएगी। शाक्यसर्किट में सुरकंडा देवी व चंद्रबदनी देवी समेत मां भगवती के सभी मंदिरों के दर्शन कराए जाएंगे। इसी तरह विवेकानंद ट्रेल के अंतर्गत उन सभी स्थानों को एक ट्रेल में जोड़ा जाएगा, जहां स्वामी विवेकानंद उत्तराखंड भ्रमण के दौरान रहे अथवा गए थे।
हिमाचल और जौनसार क्षेत्र में महासू देवता की काफी महत्ता है। यहां महासू देवता के अलग-अलग मंदिर हैं। महासू सर्किट के माध्यम से श्रद्धालुओं को महासू देवता के इन्हीं मंदिरों के दर्शन कराए जाएंगे। इसी प्रकार नागराजा सर्किट भी विकसित किया जाएगा। इस कड़ी में उत्तरकाशी के सेममुखेम मंदिर, पौड़ी के डांडा नागराजा समेत नागराजा के अन्य मंदिरों को जोड़ा जाएगा।
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