इन्दौर। नगर निगम (Nagar Nigam) की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल होने और ठेकेदारों का पेमेंट (Payment) अटकने के मामले को लेकर कल सवा सौ से ज्यादा ठेकेदारों का प्रतिनिधिमंडल महापौर (Mayor) से मुलाकात कर अपनी परेशानी बताएगा। दो दिन पहले निगम के चर्चित ठेकेदार पप्पू भाटिया ने पेमेंट अटकने के मामले को लेकर आत्महत्या कर ली थी।
कल दोपहर में भी निगम मुख्यालय में कई ठेकेदार पहुंचे थे और उन्होंने वहां भाटिया को श्रद्धांजलि दी और उसके बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव से मिलने पहुंचे थे, लेकिन निगम के परिषद सम्मेलन के चलते मुलाकात नहीं हो पाई। ठेकेदारों का कहना है कि कल मुलाकात का समय मिला है और सवा सौ से ज्यादा ठेकेदार कल उनसे मिलकर अपनी परेशानियों को बताएंगे। ठेकेदारों का कहना है कि उनका पेमेंट काफी समय से अटका हुआ है, ऐसे में नए लिए गए कार्यों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है। पेमेंट की स्थिति कुछ भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में उन्हें कार्य जारी रखने में तमाम दिक्कतें आ रही हैं। कुछ ठेकेदारों का कहना है कि जब तक निगम की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं होता, तब तक यह काम बंद करने पर भी चर्चा करेंगे।
निगम के परिषद सम्मेलन में भाटिया की आत्महत्या को लेकर मचा हंगामा
इंदौर। कल हुकमचंद मिल के मुद्दे पर नगर निगम का परिषद सम्मेलन ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया था और मिल की देनदारियों के निपटान और भूमि विकास योजना के मामले में प्रस्ताव पास किया गया। वहीं इस दौरान निगम के ठेकेदार पप्पू भाटिया की आत्महत्या के मामले को लेकर कांग्रेसी पार्षदों ने मुद्दा उठाया तो हंगामा शुरू हो गया।
विधायक मेंदोला और पूरी एमआईसी पहुंची निगम ठेकेदार भाटिया के घर, परिजनों ने संकटमोचक बताया
पूरे शहर में केवल एक ही चर्चा है कि निगम का खजाना खाली होने के कारण पप्पू भाटिया को भुगतान नहीं हो पाया और उन्हें आत्महत्या करना पड़ी। ये आरोप उनके परिजन लगा रहे हैं। कल महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक रमेश मेंदोला और एमआईसी के सभी सदस्य उनके घर पहुंचे और परिजनों को ढांढ़स बंधाया। इस दौरान उनके बड़े भाई तेजिंदरसिंह उर्फ सुक्खा भाटिया और पम्मी भाटिया ने कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि निगम के कामों में इतनी तल्लीनता से लग जाता था कि परिवार तक पर ध्यान नहीं देता था और जब भी किसी अधिकारी या पार्षद का फोन काम के लिए आता था तो मजदूरों को काम पर लगा देता था। सिंहस्थ में जब कैलाश विजयवर्गीय मंत्री थे, तब भी उन्होंने काम किया। नेहरू स्टेडियम में कार्यक्रम होना था, लेकिन वहां बारिश से कीचड़ हो गया तो भाटिया की ही पूरी टीम ने रातभर वहां काम कर प्लाई लगाई। उनके भाई ने कहा कि कोरोना काल में उनकी ही लेबर ने सामान के पैकेट बनाए और खुद जान जोखिम में डालकर वहां लगे रहे। एक तरह से वे निगम के लिए संकटमोचक ठेकेदार थे। भाटिया ने कहा कि कुछ गाडिय़ां अफसरों के नाम से उन्होंने फाइनेंस करवाई थीं और उसकी किस्त वे खुद देते थे। इनमें कारें भी थीं, जो अफसर रिटायर्ड होने के बाद उनके घर ले गए। इन पर कार्रवाई होना चाहिए। परिजनों ने निगम के बकाया की बात के साथ कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं।
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