इन्दौर। इंदौर जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से 266 निजी अस्पताल व क्लिनिक रजिस्टर्ड हैं। उसके बावजूद 100 से अधिक निजी अस्पताल गर्भवती महिलाओं की जानकारी नहीं दे रहे हैं। जिले में गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन 64 प्रतिशत है। अधिकतर निजी अस्पताल सरकारी विभाग को न महिलाओं की जानकारी दे रहे हैं, बल्कि प्रसव के दौरान या बाद में हो रही मौत के आंकड़ों को भी छिपा रहे हैं।
जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में कलेक्टर ने कल स्वास्थ्य अधिकारियों को जहां गर्भवती महिलाओं के रखरखाव पर सख्त निर्देश दिए, वहीं निजी अस्पतालों से जानकारी नहीं जुटा पाने पर कड़वी घुट्टी भी पिलाई। कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि पहली बैठक है, इसलिए कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा हूं, लेकिन 15 दिनों के अंदर 65 प्रतिशत तक का आंकड़ा 90 प्रतिशत के ऊपर पहुंच जाना चाहिए। हाईरिस्क, प्रेग्नेंसी व प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत पर भी उन्होंने सवाल किए तो 45 महिलाओं की जानकारी सामने आई, जिनकी प्रसव के दौरान या बाद में इन्फेक्शन या अन्य कारणों से मौत हो गई। पहले तीन महीनों में गर्भावस्था के दौरान रजिस्ट्रेशन जरूरी है, लेकिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम के बड़े अमले के बावजूद स्वास्थ्य विभाग फेल साबित हो रहा है।
पीठ भी थपथपाई
टीकाकरण, बच्चों की जांच सहित कायाकल्प के मामलों में स्वास्थ्य का अमला पुरस्कार प्राप्त कर रहा है। वहीं आंकड़े पीठ थपथपाने वाले हैं। पीसी सेठी हास्पिटल, सांवेर सिविल हास्पिटल, बाणगंगा, महू और देपालपुर के सिविल अस्पतालों को लक्ष्य नेशनल असेसमेंट में मिले सर्टिफिकेट की तारीफ भी की गई।
भ_े में नहीं बन पा रहा अस्पताल
कुलकर्णी भ_े में 50 बेड का स्वास्थ्य केंद्र बनाया जाना प्रस्तावित है। जिस जमीन को अस्पताल के लिए चिह्नित किया गया है, वह आईडीए की है। वहीं चोरल, राऊ और असरावद खुर्द में स्वास्थ्य केंद्र के लिए जमीन तलाशना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved