भोपाल। मध्य प्रदेश के 10 लाख से ज्यादा किसानों को अगले वित्तीय वर्ष से फिर ब्याज रहित ऋण मिलेगा। इसके लिए शिवराज सरकार कृषक समाधान योजना लागू करने जा रही है। मार्च में प्रस्तुत होने वाले वर्ष 2023-24 के बजट में इसकी घोषणा होगी। इसमें समय पर ऋण न चुकाने के कारण डिफाल्टर हुए किसानों को ही शामिल किया जाएगा। इसके बाद इन्हें सहकारी समितियों से फिर ब्याज रहित कृषि ऋण, खाद-बीज मिलने लगेगा। योजन पर एक हजार करोड़ रुपये के व्यय का अनुमान है। वर्ष 2018 में कमल नाथ सरकार ने किसान ऋण माफी योजना लागू की थी। इसमें सहकारी समितियों के ऋणी किसानों को दो लाख रुपये तक ऋण माफ करने का प्रविधान था। योजना के पहले चरण में चालू खाते पर पचास हजार और दो लाख रुपये तक के कालातीत ऋण को माफ किया गया। दूसरे चरण में चालू खाते पर एक लाख रुपये की ऋण माफी का प्रविधान था। इसकी प्रक्रिया प्रारंभ हुई ही थी और मार्च 2020 में अल्पमत में आने के कारण कांग्रेस सरकार चली गई और योजना ठप हो गई। इसके कारण लाखों किसान डिफाल्टर हो गए क्योंकि ऋण माफी की आस में इन्होंने ऋण नहीं चुकाया था।
न तो खाद-बीज मिल रहा और न ही ऋण
अब स्थिति यह है कि इन किसानों को सहकारी समितियों से न तो खाद-बीज मिल रहा है और न ही साख सीमा के अनुसार ऋण राशि प्राप्त हो रही है।
शिवराज ने की ब्याज माफी देने की घोषणा
इसे देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को ब्याज माफी देने की घोषणा की थी और बजट में चार सौ करोड़ रुपये का प्रविधान भी किया था लेकिन योजना को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। अब नए सिरे से योजना तैयार की जा रही है।
चार लाख से अधिक किसान होंगे शामिल
इसमें ऋण माफी योजना के चार लाख 41 हजार 840 उन किसानों को शामिल किया जाएगा, जिन्हें लाभ नहीं मिला। इसके अलावा अन्य डिफाल्टर किसानों को भी योजना से जोड़ा जाएगा। इसके लिए सभी जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों से डिफाल्टर किसानों की जानकारी मांगी गई है। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि योजना के लिए एक हजार करोड़ रुपये का बजट प्रविधान करना प्रस्तावित किया गया है।
ऋण माफी से वंचित सर्वाधिक छतरपुर के किसान
सितंबर 2022 की स्थिति में चार लाख 41 हजार 840 किसान ऐसे हैं, जिनका ऋण माफ नहीं हुआ और समय पर ऋण अदायगी न करनेे के कारण डिफाल्टर हैं। इनमें सर्वाधिक 32 हजार 594 छतरपुर जिला सहकारी बैंक के किसान हैं। इसके अलावा 26 हजार 431 मंदसौर, 20 हजार 871 दमोह, 19 हजार पांच जबलपुर, 19 हजार 800 सीहोर, 17 हजार 492 सिवनी, 16 हजार 727 पन्ना, 15 हजार 888 रीवा, 14 हजार 845 विदिशा, 14 हजार 875 गुना, 14 हजार 693 शिवपुरी, 14 हजार 156 खंडवा, 12 हजार 987 बालाघाट, 12 हजार 647 रतलाम, 12 हजार 308 बैतूल, 11 हजार 699 टीकमगढ़, 10 हजार 308 बैतूल, आठ हजार 407 ग्वालियर, पांच हजार 998 और दो हजार 407 भोपाल शामिल हैं।
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