इंदौर। आगामी वित्त वर्ष के लिए अचल सम्पत्तियों की गाइडलाइन तय की जाना है। मगर चूंकि इसी बीच लोकसभा चुनाव होना है, लिहाजा गाइडलाइन में फिलहाल वृद्धि की संभावना कम ही है। बावजूद इसके भोपाल मुख्यालय ने पंजीयन विभाग को अपनी तैयारी करने के निर्देश दिए हैं, जिसके चलते जिला मूल्यांकन समिति की बैठक भी बुलाई जाएगी। वहीं लगभग 1200 क्षेत्र इंदौर जिले के ऐसे चिन्हित किए गए हैं जहां पर इस वर्ष सबसे अधिक या गाइडलाइन से ज्यादा मूल्य पर रजिस्ट्रियां हुई हैं। लिहाजा इन क्षेत्रों में ही गाइडलाइन में वृद्धि के प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। अभी तक पंजीयन विभाग 1950 करोड़ की कमाई कर चुका है।
चालू वित्त वर्ष में लगभग 15 प्रतिशत राजस्व में बढ़ोतरी गत वर्ष की तुलना में विभाग को हुई है। अभी जनवरी माह में ही 188 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हुआ। हालांंिक इस वित्त वर्ष में कुल 2540 करोड़ रुपए का लक्ष्य हासिल किया जाना है, जिसमें से कल यानी 16 फरवरी तक 1950 करोड़ रुपए हासिल हो गए थे। अब बचे डेढ़ माह में 500 करोड़ से अधिक हासिल करना है। हालांकि अभी तो रजिस्ट्रियों की संख्या अच्छी है और कुल मिलाकर 1 लाख 45 हजार 700 दस्तावेज पंजीबद्ध हो चुके हैं। वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा के मुताबिक जनवरी अंत तक ही 1843 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल कर लिया था। पश्चिमी रिंग रोड के 34 गांवों में जमीनों की खरीद-फरोख्त पर रोक हटाने से भी रजिस्ट्रियों की संख्या बढ़ी। गत वर्ष 2400 करोड़ रुपए हासिल किए गए थे। श्री शर्मा के मुताबिक भोपाल मुख्यालय से प्राप्त निर्देशों के चलते आगामी वित्त वर्ष की गाइडलाइन तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ऐसे क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं जहां पर मौजूदा गाइडलाइन से अधिक दरों पर रजिस्ट्रियां हुई हैं या सर्वाधिक वृद्धि देखी गई। लगभग ऐसे 1200 क्षेत्र सूचीबद्ध किए गए हैं। जिला मूल्यांकन समिति की बैठक में इन प्रस्तावों पर चर्चा होगी।
गाइडलाइन कितनी फीसदी बढ़ाई जाएगी इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। उधर रियल इस्टेट से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इंदौर में कारोबार अच्छी गति से चल रहा है और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर संभावना कम ही है कि शासन गाइडलाइन में कोई वृद्धि करेगा। यह अवश्य हो सकता है कि चुनाव निपटने के बाद जुलाई से गाइडलाइन कुछ क्षेत्रों में बढ़ा दी जाए। यही कारण है कि विभाग से इसकी तैयारी करवाई जा रही है। वैसे भी चर्चा यह है कि आचार संहिता फरवरी अंत तक लग सकती है। लिहाजा उसके चलते भी ना तो जिला मूल्यांकन समिति की बैठक हो सकती है और ना ही आम जनता से सुझाव लेने की प्रक्रिया हो पाएगी। लिहाजा यही माना जा रहा है कि 1 अप्रैल से गाइडलाइन में वृद्धि संभव नहीं है, क्योंकि शासन भी चुनाव के चलते गाइडलाइन में वृद्धि कर विरोध का मौका विपक्ष सहित कारोबारियों को भी नहीं देगा। वैसे भी कई क्षेत्रों में गाइडलाइन ज्यादा है और इंदौर जिले में पिछले कुछ वर्षों में अधिक से अधिक राजस्व अर्जित करने के चक्कर मेंगाइडलाइन लगातार बढ़ाई जाती रही, जिसमें दो-तीन सालों में ही राहत मिलना शुरू हुई है। वैसे भी 10 फीसदी तक स्टाम्प ड्यूटी लग जाती है और एक ही सम्पत्ति की कई बार रजिस्ट्री होने पर शासन को हर बार स्टाम्प ड्यूटी के रूप में बड़ी राशि प्राप्त होती है। बीते डेढ़ साल में इंदौर का रियल इस्टेट कारोबार तेजी से आगे बढ़ा। अभी हालांकि इसमें कुछ कमी आई है। मगर बावजूद इसके रजिस्ट्रियों की संख्या में कोई फर्क नहीं पड़ा। उलटा गत वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत हर माह अधिक रजिस्ट्री के साथ राजस्व वृद्धि हो रही है। हालांकि अब फरवरी के बचे दिनों और मार्च के महीने में लगभग 22 फीसदी तक बढ़त जरूरी है, तब ही 2540 करोड़ रुपए के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।
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