भोपाल। अरब सागर से मानसून लगातार आगे बढ़ रहा है। बंगाल की खाड़ी में भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक मध्यप्रदेश में मानसून पूर्व की बारिश का सिलसिला जारी है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए मानसून के तय तारीख 16 जून से चार दिन बाद 20 जून तक मप्र में प्रवेश करने की संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी पीके साहा ने बताया कि प्रदेश के अधिकतर जिलों में मानसून पूर्व की गतिविधियां शुरू हो गई हैं। बादल छाए रहने एवं रुक-रुक कर बौछारें पडऩे से दिन के तापमान में गिरावट होने लगी है। इससे भीषण गर्मी से राहत मिल गई है। हालांकि अभी भी ग्वालियर, चंबल, सागर, रीवा संभागों के जिलों में तापमान बढ़ा हुआ है।
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि केरल में प्रवेश करने के बाद मानसून कुछ आगे बढ़ा, लेकिन 30 मई के बाद अरब सागर में मानसून ठहर गया था। हालांकि इस दौरान बंगाल की खाड़ी में मानसून लगातार प्रगति करता रहा। उधर सात जून से अरब सागर से मानसून ने गति पकड़ी, तो बंगाल की खाड़ी में मानसून की हलचल कम हो गई। इस वजह से मानसून अपनी संभावित तय तारीख 16 जून को मप्र में प्रवेश करने पिछड़ गया है। मानसून के 20 जून तक आने की संभावना है।
ये मौसम प्रणालियां हैं सक्रिय
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि अरब सागर में बना ऊपरी हवा का चक्रवात वर्तमान में गुजरात से लेकर कर्नाटक तक अपतटीय ट्रफ के रूप में बदल गया है। उत्तर-पश्चिम उत्तर प्रदेश से लेकर असम तक एक ट्रफ लाइन बनी हुई है। कमजोर पश्चिमी विक्षोभ अफगानिस्तान के आसपास बना हुआहै। बंगाल की खाड़ी में भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बन गया है। अगले तीन दिन में मानसून महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, झारखंड, बिहार, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल के अधिकांश हिस्सों में पहुंच सकता है। नम हवाओं के कारण मप्र में आज से मानसून पूर्व की गतिविधियों में और तेजी आ सकती है।
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