नई दिल्ली: दक्षिण पश्चिमी मॉनसून (Southwest Monsoon) का असर पूरे देश में दिखने लगा है. मौसम विभाग (weather department) के मुताबिक 2 जुलाई तक भारत के हर एक हिस्से को मॉनसून ने कवर कर लिया है. इससे पहले साल 2001 और 2022 में भी मॉनसून ने इसी तारीख (same date) को पूरे में देश दस्तक दी थी. वहीं 2001 और 2009 में मॉनसून ने 3 जुलाई तक को देशभर को कवर किया था.
आमतौर पर पूरे देश को मॉनसून 8 जुलाई तक कवर करता है. हालांकि, इस बार लगभग मॉनसून अपने रिकॉर्ड रफ्तार (record speed) के चलते 1 हफ्ते पहले ही सभी इलाकों में पहुंच गया. इस साल केरल में मॉनसून तय समय से लगभग 1 हफ्ते देरी से 8 जून को पहुंचा था. साथ ही चक्रवात बिपरजॉय के चलते लगभग 10 दिनों तक मॉनसून 22 जून तक अटका रहा था
मॉनसून का असर उत्तर, दक्षिण, पश्चिम और पूर्व हर जगह से बारिश की तस्वीरें और विजुअल्स सामने आए हैं. पिछले दिनों उत्तर भारत के मैदानी और पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश दर्ज की गई. पहाड़ी राज्यों में बादल फटने की घटनाएं सामने आईं. वहीं, मैदानी इलाकों में सड़कों पर भारी जलजमाव नजर आया. इसके अलावा दक्षिण भारत में ठीक-ठाक बारिश दर्ज की गई.
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि जून में कम से कम 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कम बारिश हुई. बिहार और केरल में सामान्य से 69 और 60 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे कुछ अन्य राज्यों में भी दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के पहले महीने जून में सामान्य से कम बारिश हुई.
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक इस साल जुलाई में बारिश सामान्य रह सकती है. दरअसल आंकड़ों के मुताबिक 25 वर्षों में से 16 में जब जून में बारिश सामान्य से कम थी. उस साल जुलाई में बारिश सामान्य दर्ज की गई. इस दौरान
कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से सामान्य से अधिक रहने की संभावना है.
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