मंदसौर। सामान्यतः जून माह के अंतिम सप्ताह में मानसून (Monsoon) आ जाता है। ऐसे में किसान खेतों को नई फसल के लिए तैयार करने में मई माह से लग जाते है, लेकिन इस बार जहां अभी तक ताउ ते चक्रवात (Tau to cyclone) के कारण बारिश हो चुकी है वहीं मानसून को भी इस बार जल्द आना मौसम के जानकारों के द्वारा बताया जा रहा है। ऐसे में क्षेत्र के किसान अपने – अपने खेतों को नई फसल के लिए तैयार करने में जुट रहे है लेकिन इस समय उनके सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो रहा है। किसानों के पास नगदी नहीं है और जो फसल घर में रखी है उसके भाव भी अच्छे नहीं मिल रहे है। क्षेत्र में सोयाबीन और लहसुन (Soybean and garlic) की सर्वाधिक खेती होती है। एक फसल को तैयार कर उसे बेचकर किसान द्वार दूसरी फसल तैयार कि जाती है। लेकिन इस एक माह से तो लाॅकडाउन और उसके पहले से मंडी सुचारू रूप से नहीं चल पाने के कारण किसानों की लहसुन घर में ही पड़ी है। किसानों को उम्मीद थी कि मंडी चालू होगी और माल बिक जायेगा, लेकिन कोरोना के कारण मंदसौर और आस – पास की सभी मंडीयां डेढ माह से बंद पड़ी है और 31 मई तक मंडी बंद ही रहेगी। ऐसे में अब किसान पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए अपनी फसल नई व्यवस्था सौदा पत्रक के माध्यम से बेच रहे है लेकिन इस व्यवस्था में मिलने वाले दामों से किसान संतुष्ट नहीं है।
गुर्जरबर्डिया के किसान शिवनारायण धनगर ने बताया की जून में अगली फसल सोयाबीन के लिए बौवनी शुरू कर देंगे। इसके लिए हम को पैसा चाहिए लेकिन पैसा नहीं है माल पड़ा है इसलिए हम सौदा पत्रक के माध्यम से अपना माल बेच रहे हैं। लेकिन भाव से संतुष्ट नहीं है लेकिन क्या करें माल बेचना भी मजबूरी है।
रेवास देवड़ा के किसान मोतीराम चौधरी का कहना है की सौदा पत्रक के माध्यम से माल तो बिक रहा है, लेकिन माल का भाव जो मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है, लेकिन अब हमको सोयाबीन की फसल तैयारी करने के लिए अब लहसुन को बेचना पड़ रहा है अब नहीं रूक सकते अगले माह से बौवनी प्रारंभ करना है।
आगे भी नहीं है डिमांड, बाजार बंद है
लोकेन्द्र जैन, लहसुन व्यापारी, मंदसौर ने हिन्दुस्थान समाचार से चर्चा करते हुए बताया कि लहसुन की डिमांड आगे भी नहीं है क्योंकि आगे भी सभी बाजार लाॅकडाउन के कारण बंद है। इसलिए जो भाव लहसुन के खुली मंडी के समय मिलते हे वे तो अभी मिलना मुश्किल है।