नई दिल्ली। यूरोप (Europe) के करीब 15 से ज्यादा देशों (More than 15 countries) में मंकीपॉक्स (monkeypox) के सौ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इस बात के मद्देनजर लोगों में यह डर सता रहा है कि क्या मंकीपॉक्स भी कोरोना (corona) की तरह महामारी (pandemic) का रूप तो नहीं ले लेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) में मंकीपॉक्स की विशेषज्ञ डॉ. रोजमंड लेविस (Dr. Rosamund Lewis) ने कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि मंकीप़़ॉक्स की बीमारी महामारी का रूप लेगी लेकिन उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की कि मंकीपॉक्स के बारे में अब तक वैज्ञानिकों को बहुत कुछ पता नहीं है. उन्होंने कहा कि अब तक हमें यह पता नहीं है कि वास्तव में यह किस तरह से दूसरे को संक्रमित करता है।
गे, बायसेक्शुल में ज्यादा मंकीपॉक्स क्यो?
डॉ. रोजमंड लेविस ने कहा कि इस बात को भी जानने की जरूरत है कि दशकों पहले स्मॉलपॉक्स के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई थी लेकिन पिछले कुछ सालों से यह बंद है. क्या टीकाकरण को बंद करने के कारण यह बीमारी अब फैल रही है. डॉ रोजमंड ने मंकीपॉक्स पर आयोजित एक सेमिनार में कहा कि हमें इस बात पर जोर देना है कि अधिकांश देशों में जो मामले आ रहे हैं, वे आमतौर पर गे, बायसेक्शुअल और पुरुष और पुरुष के साथ यौन संबंध रखने वाले व्यक्ति में आ रहे हैं. वैज्ञानिकों को इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऐसा किस कारण हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इससे पहले इस तरह के मामले नहीं देखे गए थे जिसमें गे या बायसेक्शुअल को यह बीमारी लगे।
बीमारी पर काबू पाना जरूरी
हालांकि डॉ रोजमंड ने यह भी चेतावनी दी कि ऐसा नहीं है कि यह बीमारी सिर्फ गे या बायसेक्शुअल में ही होता है. हर किसी को यह बीमारी हो सकती है चाहे उसका सेक्शुअल रुझान किसी भी तरह का क्यों न हो. एक अन्य विशेषज्ञ ने बताया कि यह महज संयोग हो सकता है कि सबसे पहले इस बीमारी को गे और बायसेक्शुअल में ही देखा गया. लेकिन जल्दी ही इसने अन्य लोगों को भी संक्रमित करना शुरू किया. अगर इसपर काबू नहीं पाया गया तो यह किसी भी इंसान में हो सकता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 23 देशों में पहले इस बीमारी के एक भी मामले नहीं थे, लेकिन अब इन देशों में 250 से ज्यादा मामले हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved