नई दिल्ली। दुनियभर में इन दिनों तमाम तरह के वायरस फैले हुए हैं, जिसके चपेट में हजारों व लाखों लोग हैं. इसी कड़ी में मंकीपॉक्स (monkeypox) नाम की बीमारी ने विश्व के चिकित्सकों की चिंता को बढ़ा दिया है. मंकीपॉक्स मामले को गंभीरता से लेते हुए विशेषज्ञों की एक आपातकालीन बैठक (emergency meeting) बुलाने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ की बैठक वायरस के फैलने के तरीके, गे और बाइसेक्सुअल पुरुषों में इसके अधिक प्रसार के साथ-साथ टीकों की स्थिति पर चर्चा हो सकती है।
मई की शुरुआत से, यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, बेल्जियम, इटली, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा सहित दुनिया भर के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं। ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, हाल ही में नाइजीरिया से यात्रा करने वाले एक मरीज में 7 मई को इंग्लैंड में मंकीपॉक्स के एक मामले की पुष्टि हुई है। 18 मई को, यूएस मैसाचुसेट्स डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक हेल्थ ने हाल ही में कनाडा की यात्रा करने वाले एक पुरुष में मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण के एक मामले की पुष्टि की।
हालांकि, मामले से जनता को कोई खतरा नहीं है और व्यक्ति अस्पताल में भर्ती है और अच्छी स्थिति में है। मंकीपॉक्स एक दुर्लभ लेकिन संभावित रूप से गंभीर वायरल बीमारी है जो आमतौर पर फ्लू जैसी बीमारी और लिम्फ नोड्स की सूजन से शुरू होती है और चेहरे और शरीर पर दाने के साथ उभरती है। अधिकांश केसों में संक्रमण 2-4 सप्ताह तक चलते हैं। हालांकि, यह वायरस लोगों के बीच आसानी से नहीं फैलता है।
ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस में मंकीपाक्स वायरस के पहले दो मामलों का पता चला है जबकि पेरू में इसको लेकर अलर्ट जारी किया गया है। ऑस्टेलियाई राज्य न्यू साउथ वेल्स में शुक्रवार को मंकीपॉक्स वायरस के पहले संभावित मामले का पता चला है, जिसका प्रसार धीरे-धीरे पूरे यूरोप में हो रहा है। फ्रांस में भी इसका पहला सामने आया है, जिसकी सूचना राष्ट्रीय प्रसारक बीएफएमटीवी ने दी।
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