नई दिल्ली। देश में फिलहाल प्रत्येक व्यक्ति के लिए मंकीपॉक्स टीकाकरण (monkeypox vaccination) की जरूरत नहीं है। क्योंकि वायरस (virus) को लेकर भारत की स्थिति दूसरे देशों की तुलना में बेहद अलग है। अब तक मंकीपॉक्स (Monkeypox) के 10 मामले सामने आए हैं और एक की मौत हुई है। यह सभी मामले एक-दूसरे से अलग हैं और इनमें वायरस के स्ट्रैन (strains of virus) भी अलग-अलग हैं।
यह बात पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) (National Institute of Virology (NIV)) की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राहम ने देश में मंकीपॉक्स (monkeypox) टीकाकरण कितना जरूरी संबंधी एक सवाल के जवाब कही। एनआईवी निदेशक डॉ. अब्राहम ने कहा, देश की स्थिति अभी काफी बेहतर है। मुझे नहीं लगता कि मंकीपॉक्स का टीका हर किसी को लगाने की जरूरत है। हालांकि जो लोग संक्रमित रोगियों के संपर्क में आए हैं उनका टीकाकरण होना जरूरी है।
दरअसल पुणे एनआईवी मंकीपॉक्स और कोविड-19 महामारी को लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया में सबसे बड़ा केंद्र है। अकेले मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर अब तक यहां 259 सैंपल की जांच हो चुकी है, जबकि देश की 15 और लैब में यह जांच चल रही है। कोरोना महामारी की शुरुआत में एनआईवी ने ही सबसे पहले जांच का तरीका खोजा था और बाद में कोवाक्सिन टीका भी बनाया था।
मंकीपॉक्स टीका भी मिलेगा जल्द
डॉ. प्रिया ने बताया कि जल्द ही देश को मंकीपॉक्स का टीका मिलने जा रहा है। वायरस को आइसोलेट करने के बाद प्राइवेट फार्मा कंपनियों से आवेदन मांगे गए थे। करीब आठ स्वदेशी कंपनियों ने इस खोज में शामिल होने की ईच्छा जताई है, जिन पर अंतिम फैसला आईसीएमआर को लेना है। जल्द ही इसकी जानकारी मिलेगी।
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