भोपाल। कूनो नेशनल पार्क के जंगल में चीतों के संख्या बढ़ी तो प्रबंधन ने निगरानी प्रणाली को अत्याधुनिक करना शुरू कर दिया है। सबसे पहले चीता ट्रैकिंग टीम को तकनीक में अपडेट किया गया है। टीम को पेट्रोलिंग साफ्टवेयर से लैस मोबाइल दिए गए हैं। इसमें ट्रैकिंग साफ्टवेयर है, जिससे टीम अलग-अलग लोकेशन के फोटो शेयर करती है। प्रत्येक टीम 12-12 घंटे चीतों की ट्रैकिंग कर सात दिन का डाटा वरिष्ठ कार्यालय को भेजती है। इसी से चीतों मूवमेंट को लेकर विश्लेषण किया जा रहा है। नरसिंहपुर से अत्याधुनिक रेस्क्यू वाहन भी मंगवाया गया है। इसमें केज से लेकर कई सुविधाएं हैं। कूनो के खुले जंगल में सात चीते छोड़े जा चुके हैं। इन चीतों की निगरानी के लिए चीता ट्रैकिंग टीमें नियुक्त हैं, जो चीतो के गले में लगी कालर आइडी के जरिये उनकी ट्रैकिंग करती हैं। वर्तमान में दो चीते पालपुर कूनो की ओर हैं। एक मोरावन क्षेत्र में है। मादा चीता आशा माधव नेशनल पार्क की ओर है। वहीं बचे हुए पालपुर पश्चिम की ओर घूम रहे हैं।
साफ्टवेयर में सात किमी का बनता है ट्रैक
कूनो नेशनल पार्क में चीता ट्रैकिंग टीम को, जो पेट्रोलिंग साफ्टवेयर के नए मोबाइल दिए गए हैं उसमें सात किमी का ट्रैक बनता है। इसके आधार पर टीम काम करती है। यह ट्रैक पूरा होते ही दूसरा ट्रैक बन जाता है। अलग-अलग लोकेशन पर फोटो लेने होते हैं, जो क्वार्डिनेट एप में दर्ज हो जाते हैं। इस तरह सात-सात दिन का डाटा पहले रेंज आफिस पहुंचाया जाता है। इसके बाद वरिष्ठ स्तर पर भेजा जाता है। अभी तक चीतों की निगरानी करने वाला स्टाफ पेपर पर लोकेशन लिखकर डाटा तैयार करता था, लेकिन अब ट्रैकिंग का पूरा सिस्टम पेपर लैस कर दिया गया है। कूनो में छह जून को केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव और सीएम शिवराज आ सकते हैं। इसे लेकर आंतरिक तैयारियां भी की जा रही हैं। इस दौरान वे भ्रमण कर यहां की तैयारियां और चीतों को लेकर आगामी कार्ययोजना पर चर्चा कर सकते हैं।
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