नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी समन पर स्टे देने से इनकार कर दिया. चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, हम कोई राहत नहीं दे रहे हैं. अब वह तीन दिन बाद कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 22 मार्च को ईडी के सामने पेश होंगी. गौरतलब है कि 10 मार्च को पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मुफ्ती को जारी समन पर रोक लगा दी थी. मुफ्ती को पहले 15 मार्च को सुबह 11.30 बजे जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था.
61 वर्षीय महबूबा मुफ्ती ने गुरूवार को दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जारी समन को चुनौती दी थी. अपनी याचिका में मुफ्ती ने कहा है कि उन्हें इस बाबत सूचित नहीं किया गया है कि उन्हें आरोपी के रूप में बुलाया जा रहा है या गवाह के रूप में. याचिका में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता जांच का विषय नहीं है, और न ही वह कोई अभियुक्त हैं. उन्होंने कहा कि यह समन उन पर अनुचित दबाव बनाने और उन पर उत्पीड़न करने का एक माध्यम है.
मुफ्ती ने अपनी याचिका में कहा कि अनुच्छेद 370 की औपचारिक समाप्ति के बाद जब से उन्हें एहतियातन हिरासत से रिहा किया गया है, तब से ही उन पर, उनके परिचितों और पुराने पारिवारिक मित्रों के खिलाफ, शत्रुतापूर्ण कार्रवाई की जा रही है. उन्हें ईडी ने समन भी जारी किया है. इतना ही नहीं, उनके व्यक्तिगत, राजनीतिक और वित्तीय मामलों की भी पड़ताल की गई और उनके निजी उपकरणों को भी जब्त कर लिया गया.
याचिका में कहा गया कि जब से याचिकाकर्ता को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद हिरासत से रिहा किया गया है, तब से उनके खिलाफ, उनके परिचितों एवं उनके पुराने पारिवारिक मित्रों के खिलाफ शत्रुतापूर्ण कार्रवाई की जा रही है. उन सबको ईडी ने समन जारी किया है. उनके व्यक्तिगत, राजनीतिक और वित्तीय मामलों के बारे में पूछताछ की जा रही है. उनके निजी उपकरणों को जब्त कर लिया गया है. गौरतलब है कि मुफ्ती को 15 मार्च को सुबह 11.30 बजे राष्ट्रीय राजधानी में प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय में जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था.
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